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खनन पट्टा समाप्त होने पर भी 5.60लाख एमटी लौह अयस्क जमा

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड में कई नन -कैप्टिव लौह अयस्क खनन पट्टाधारियों का खनन पट्टा 31 मार्च को समाप्त हो गया है, उनके द्वारा पूर्व में खनन किये गये लौह अयस्क का करीब 5 लाख 60 हजार मिट्रिक टन भंडार जमा है। निर्दलीय विधायक सरयू राय ने मॉनसून सत्र में इस विषय को उठाते हुए बताया कि कॉनसून कॉज मामले में सर्वाच्च न्यायालय का निर्देश है कि ऐसे खनन पट्टाधारी छह महीने के भीतर अपने लौह अयस्क भंडार का निस्तारण नहीं करते है, तो सरकार इस भंडार की नीलामी कर इससे राजस्व प्राप्त करेगी। उन्होंने बताया कि जमा लौह अयस्क भंडार को नीलाम करने की प्रक्रिया अब तक प्रारंभ नहीं की गयी है, जिसके कारण राज्य को तीन हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।

खान एवं भूतत्व विभाग की ओर से इस संबंध में स्पष्ट किया गया है कि एमएमडीआर एक्ट के अनुसार यह प्रावधान किया गया है कि नन कैप्टिव माईन्स की कार्य अवधि 31 मार्च को समाप्त हो गयी है। 31 मार्च 2020 को समाप्त नन कैप्टिव माइंस के लीज होल्ड एरिया में खनन पट्टेधारियों द्वारा खनन किये गये लौह अयस्क का अवशेष पड़ा हुआ है, ऐसे पट्टेधारी जो वैधानिक रूप से योग्य हैं, उन्हें बचे हुए लौह अयस्क की बिक्री की अनुमति दी जाती है और वैधानिक रूप से अयोग्य पट्टेधारी को बिक्री की अनुमति नहीं दी जाती है। विभाग की ओर से यह भी बताया गया है कि कॉमन कॉज केस उच्चतम न्यायालय 113/2014 में दिये गये न्यायादेश के अनुसार कुछ पट्टेधारियों से संबंधित कार्रवाई की गयी है, जिसके तहत उन्हें भुगतान से संबंधित डिमांड नोटिस दिया गया है।

डिमांड नोटिस के अनुसार भुगतान, लीज नवीकरण, लीज समाप्त करने के संबंध में उच्च न्यायालय  झारखंड और माईन्स ट्रिब्यूनल दिल्ली में सुनवाई चल रही है। साथ ही विभिन्न न्यायालय से प्राप्त निर्देश के आलोक में डिमांड की कार्रवाई की जा रही है। डिमांड लंबित रहने के कारण लौह अयस्क हटाने की अनुमति नहीं दी गयी है।न्यायालय के निर्देश के अनुसार डिमांड रिलीज करने के लिए पट्टेधारियों से शेष लौह अयस्क की बिक्री कर या उनकी संपत्ति को अटैच कर वसूली की कार्रवाई की जाएगी।

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