सिटी पोस्ट लाइव, पटना: आगामी 10 नवम्बर को बिहार विधानसभा चुनाव की मतगणना होने के बाद ही राज्य में नई सरकार बनने का रास्ता साफ़ होगा। लेकिन उसके पहले ही बिहार सरकार के दो मंत्रियों को अपना पद छोड़ना होगा। इनमें वर्तमान सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी और सूचना एवं जन सम्पर्क मंत्री नीरज कुमार शामिल हैं। दरअसल, ये दोनों मंत्री बिहार विधान परिषद् के सदस्य के रूप में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल हैं। दोनों की विधान परिषद् की सदस्यता विगत 6 मई को ही समाप्त हो चुकी है। ये दोनों मंत्री किसी सदन के सदस्य रहे बिना पद पर कायम हैं।
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार बिना किसी सदन के सदस्य रहे कोई भी व्यक्ति छह महीने तक मंत्री पद पर रह सकता है। छह माह की अवधि शपथग्रहण की तिथि से होती है। परंतु दोनों मंत्रियों की छह माह की अवधि सदस्यता समाप्त होने की तिथि से 6 नवम्बर को पूरी हो रही है। यानि 10 नवम्बर को विधानसभा चुनाव का नतीजा आने के पहले ही दोनो मंत्रियों को पद छोड़ने की कानूनी बाध्यता है। सूचना एवं जनसम्पर्क मंत्री नीरज कुमार पटना स्नातक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। परिषद की 8 सीटों के लिए अब 22 अक्तूबर को चुनाव होना है। लेकिन चुनाव आयोग ने परिषद् की आत सीटों के लिए आगामी 12 नवम्बर को मतगणना करने का फैसला लिया है। यानी मंत्री पद छोड़ने के छह दिन बाद ही उनके चुनावी नतीजे आएंगे। बिहार में बाद नतीजा आयेगा। बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए 28 सितम्बर को अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के लिए विधानसभा चुनाव लड़कर सदन में आने का विकल्प है। वे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए परिषद के सदस्य और महागठबंधन सरकार में मंत्री बने थे। पाला बदलकर अब जदयू सरकार में मंत्री हैं। अशोक चौधरी विधानसभा क्षेत्र कोटे से परिषद के सदस्य बने थे। इस कोटे का चुनाव भी हुआ परंतु उन्हें अवसर नहीं मिला। राज्यपाल के मनोनयन कोटे से परिषद सदस्य बनने की उम्मीद आचार संहिता लागू होने के बाद अब यह सम्भव भी नहीं है।
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