सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के ग्रामीण विकास और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम की अध्यक्षता में विभागीय पदाधिकारियों व हड़ताली मनरेगा कर्मियों के प्रतिनिधियों की हुई बैठक में हड़ताल वापस लेने पर सहमति बन गयी। जिसके बाद हड़ताली मनरेगा कर्मियों ने अपने आंदोलन को वापस लेते हुए काम पर वापस लौटने की घोषणा की है। ग्रामीण विकास मंत्री ने गुरुवार को बताया कि इस बैठक में कई बिन्दुओं पर सहमति बनी है, जिसके तहत सामाजिक सुरक्षा के तहत मनरेगा में काम करने वाले मनरेगा कर्मियों के कार्यअवधि में दुर्घटना में घायल होने पर उन्हें इलाज के लिए अधिकतम 25 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करायी जाएगी। वहीं इस योजना के तहत यदि कोई मनरेगाकर्मी कार्य अवधि में गंभीर रूप से घायल होते है, तो उन्हें इलाज के लिए अधिकतम 50 हजार रुपये की राशि उपलब्ध करायी जाएगी और मृत्यु होने पर पांच लाख रुपये की सहायता राशि परिवार को उपलब्ध करायी जाएगी। बैठक में यह भी सहमति बनी कि मनरेगा संविदा कर्मियों को ईपीएफ का लाभ देने का मनरेगा कर्मियों को 12 प्रतिशत और नियोक्ता को 13 प्रतिशत, यानी कुल 25 प्रतिशत देने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है।
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इससे पहले यह भी सहमति बनी है कि जिला स्तर से सेवामुक्ति संबंधी आदेश निर्गत करने के पहले संबंधित कर्मी से स्पष्टीकरण अवश्य पूछा जाएगा और जिला स्तर से सेवा मुक्त मनरेगा कर्मियों की सेवा मुक्ति संबंधि आदेश निर्गत तिथि के एक महीने के अंदर प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष लिखित रूप से अपील का प्रावधान किया गया है। इधर, प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, राजेश गुप्ता और लाल किशोरनाथ शाहदेव समेत ने मनरेगा कर्मियों की हड़ताल खत्म हो जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण काल में मनरेगा योजना ही प्रवासी कामगारों और अन्य श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने में बड़ी भूमिका निभायी है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि मनरेगा कर्मियों की हड़ताल समाप्त हो जाने के बाद अब अधिक से अधिक योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा सकेगा और प्रतिदिन 10 लाख मानव सृजन के लक्ष्य को पूरा करने में सफलता मिलेगी।
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