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विकास दुबे के गांव में आरएएफ ने डाला डेरा, ग्रामीणों को विश्वास में लेने की तैयारी

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सिटी पोस्ट लाइव, कानपुर: उज्जैन के महाकाल मन्दिर से गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे कानपुर में शुक्रवार को एनकाउंटर में मारा गया, पर ग्रामीण अभी भी डरे सहमे हैं। ऐसे में पुलिस की छावनी तो घटना के दिन से ही बनी हुई है पर अब आरएएफ को भी लगा दिया गया है। शनिवार को आरएएफ की कई टुकड़िया गांव पहुंची और ग्रामीणों को विश्वास में लेने की तैयारी हो रही है, ताकि ग्रामीणों के बीच विकास का खौफ खत्म हो सके और पुलिस के लूट असलहे भी मिल सके। चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव निवासी अपराधी विकास दुबे का इस कदर साम्राज्य था कि कोई भी उसके खिलाफ जाने की जुर्रत नहीं उठाता था। इसी के चलते वह मनमाफिक काम करता था और पुलिस के खुफिया तंत्र को भनक भी नहीं लगती थी।
 
दो जुलाई की रात्रि जब वह अपने साथियों संग एक-एक करके आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतार रहा था तब भी गांव के किसी व्यक्ति ने पुलिस के आलाधिकारियों को सूचना देना तो बहुत दूर की बात है अगले दिन गांव छोड़कर ही भाग खड़े हुए। यही नहीं ज्यादातर लोग उसके साथ खड़े दिखे और पुलिस पर हमला में सहभागी भी बने। अब परिस्थितियां बदलने के बाद यानी विकास और उसके पांच गुर्गों के मारे जाने के बाद भी गांव के लोग डरे सहमे हुए है।इसी के चलते शनिवार को गांव में भारी मात्रा में आरएएफ की तैनाती कर दी गयी है, हालांकि घटना वाले दिन से ही यहां पर पुलिस की छावनी बनी हुई है। अब पुलिस ग्रामीणों का दिल जीतने के लिए उनकी हर संभव मदद कर रही है। इसके साथ ही पुलिस ने अभी छूट दिया है कि जिसके घर में विकास द्वारा पुलिस के लूटे असलहे हो तो दे दें। इस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। आरएएफ की टीमें गांव में बराबर गश्त कर रही हैं और सीओ त्रिपुरारी पांडेय की अध्यक्षता में ग्रामीणें की बैठक भी हुई। बैठक का मुख्य कारण गांव के लोगों के बीच समन्वय बनना और लोगों के बीच से हर प्रकार का डर दूर करना रहा। गांव के लोग भी अपनी समस्याएं लेकर पुलिस के सामने आए और उनमें भी पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ा है। कई गांव वालों की समस्याओं का भी तुरंत निस्तारण किया गया। 

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