सिटी पोस्ट लाइव, देवघर: देवघर सावन शुरू हो गया है। यूं तो हर साल इस महीने में हर तरफ भोले का जयकारा लग रहा होता था। बाबा नगरी देवघर की गलियां गूंज रही होती थी। लेकिन इस साल उसी देवघर में सन्नाटा पसरा है। देवघर ही क्या कोरोना का दुष्प्रभाव देश के दूसरे धर्मिक स्थलों पर साफ साफ देखा जा सकता है। देश के सभी प्रतिष्ठित मंदिरों के दरवाजे बंद हैं। चाहे वह मां वैष्णो देवी के आंगन की बात हो या महाकालेश्वर के साथ साथ विश्व प्रसिद्ध द्वादस ज्योतिर्लिंग बाबा बैधनाथ का आंगन। बाबाधाम कांवर यात्रा के इतिहास में पहली दफा ऐसा है जब सावन माह में देवघर की श्रावणी मेला और कांवर यात्रा को स्थगित किया गया है। कांवरिया पथ का दृश्य देखने से लगता है कि वीराने ने पूरे कांवरिया पथ को ढक लिया है।
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कभी दर्शनीय कहलाने वाला खिजुरिया पथ और गेट जो पूरे सावन औऱ भादो माह में कावरियों के केसरिया रंग और बोलबम के नारों से गुलज़ार रहा करता था। वहीं आज एक श्रद्धालु की झलक तक नहीं मिलती है।कामोबेश यही स्थिति पूरे कांवरिया पथ और शहर की है। कोरोना संक्रमण के भय ने मनुष्य तो मनुष्य देवता के दर पर भी ताला लगवा दिया है। हालांकि कुछ ऐसे भी श्रद्धालु हैं जो शायद मंदिरों के बंद रहने की घोषणा से अनजान हैं। वे देवघर बैधनाथ धाम पहुंचकर मन्दिर का दर्शन कर ही अपने आप को धन्य समझ रहे हैं। वहीं प्रशासनिक महकमा भी पूर्व के वर्षों की तरह कांवरियों को तो कतार बद्ध करने में नहीं भिड़ा हुआ है पर उसकी जगह बेरिकेटिंक एरिया के समीप बैठक सख्ती से हर आने जाने वाले पर नजर रखे हुए हैं।
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