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शराबबंदी से कौन आबाद और कौन हुआ बर्बाद , जानिये बिहार में शराबबंदी का सच.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार (Bihar) के गोपालगंज के चर्चित खजूरबानी शराब कांड में 13 आरोपियों को दोषी मानते हुए कोर्ट ने सजा सुनाई थी. उनमें से 9 लोगों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई, उन्हीं 9 लोगों में से एक दोषी राजेश चौधरी की पत्नी का कहना है, ‘मेरे पति पेंट का काम करते थे, वो शराब के बारे में कुछ नहीं जानते हैं, वो खजूरबानी में रहते थे इसलिए उन्हें फंसाया गया कि वो शराब बेच रहे थे.’ पांच साल पहले गोपालगंज में खजूरबानी इलाके में जहरीली शराब पीने से 16 लोगों की मौत हो गई थी. इसी मामले में पिछले सप्ताह स्थानीय अदालत ने फैसला सुनाते हुए 13 लोगों को दोषी माना था, जिसमें 9 लोगों को फांसी की सजा दी गई है.

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शराबबंदी के 5 साल पुरे होनेवाले हैं.इस दौरान जप्त शराब की खेप से शराबबंदी की सफलता का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.विपक्ष का कहना है कि शराबबंदी में शराब की बिक्री ज्यादा हो गई है.अवैध शराब का कारोबार राज्य में तेजी से फ़ैल रहा है.लेकिन ये सच भी है कि शराबबंदी की वजह से हजारों लाखों का जीवन बर्बाद हो गया है. शराबबंदी की वजह से सजायाफ्ता लोगों के परिवार सवाल उठा रहे हैं कि ये कैसा फैसला है कि पुरुषों को फांसी की सजा दी गई है और महिलाओं को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, लेकिन इसी मामले में जांच के बाद नौकरी से बर्खास्त हुए 10 पुलिस वालों के संबंध में राज्य सरकार के आदेश को न केवल पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया बल्कि सबको वापस सेवा में बहाल करने का भी आदेश दे दिया.

कोर्ट से सजा मिलने के बाद दोषियों के परिवार वालों ने कहा कि पुलिस जो लोग हैं सब झूठे केस बनाकर हम लोग के पति और सास को फांसी और उम्रकैद का सजा दिलवा दिए हैं लेकिन उन लोगों को नौकरी क्यों मिला, हम लोगों को रियायत चाहिए. विद्यार्थी देवी के चार परिजनों को सजा मिली है. वह कहती हैं, ‘इन लोगों को फांसी की सजा क्यों मिली जब पुलिसकर्मी आजाद घूम रहे हैं. वे लोग गलती किए और वे ही आजाद घूम रहे हैं और पासी लोगों को सजा मिली है.’

ये गोपालगंज की घटना अपवाद नहीं बल्कि इन दिनों शराबबंदी से संबंधित घटनाओं में तेजी से सुनवाई हो रही है. दरभंगा में प्रेम चंद साहनी को तो पांच लीटर शराब बरामदगी के मामले में पांच साल की सजा सुनाई गई है और साहनी पर एक लाख का जुर्माना भी लगाया गया है.विशेष लोक अभियोजक सुरेश कुमार ने इस बारे में कहा, ‘शराब रखने के जुर्म में पांच साल का साधारण कारावास और एक लाख रुपये का अर्थ दंड और न देने पर 6 महीने के अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है.’ इन दिनों पूरे बिहार में पुलिस और उत्पाद विभाग के अधिकारी चारों और जमकर छापेमारी कर रहे हैं. हर जगह भारी मात्रा में शराब की जब्ती हो रही है. कई जगह पर शराब के गोदाम को थाने में भी बदला गया है लेकिन बिहार में विपक्षी दलों का आरोप है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कथनी और करनी में फर्क है.

मंत्री के भाई की जमीन पर शराब मिलने के मामले में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, ‘अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उनका नियम हैं कि जिस जमीन पर शराब मिलेगी तो वहां थाना या विद्यालय बनाया जाएगा. सत्ता संरक्षण देने का काम कर रही है.’ वहीं नीतीश कुमार के पास उनकी सरकार द्वारा चार महीने तक इस संबंध में कार्रवाई क्यों नहीं हुई, उसका कोई जवाब तो नहीं लेकिन वो कहते हैं, ‘जब तक हैं छोड़ेंगे थोड़े ही, हम तो पूरा मुस्तैदी से लगे हुए हैं. पहले की तुलना में कितनी ज्यादा कार्रवाई हो रही है, कितने बाहर के लोग पकड़े जा रहे हैं. हर तरफ कार्रवाई हो रही है. आप लोग भी नजर बनाए रखे हैं.’

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