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जब हम कुंवारे थे, जातीय जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की हुई थी चर्चा.

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सिटी पोस्ट लाइव : जातीय जनगणना को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जब हम कुंवारे थे, जातीय जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की चर्चा हुई थी. हमारी शादी हो गई. बैठक नहीं हुई. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे बैठक बुलाएं, जिन्हें आना होगा, आ जाएंगे. भाजपा सदस्यों के साथ हल्की नोंकझोंक के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार पर करारा तंज किया. तेजस्वी ने चुटीले अंदाज में किसी प्रसंग में आरएसएस का नाम लिया. इस पर उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के साथ भाजपा के कई सदस्य उठ खड़े हुए. जवाब में राजद के सदस्य भी सदन में आगे बढ़े लगे.

तेजस्वी की चुटकी ने माहौल को इतना गर्म कर दिया कि विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी. बाद में आरएसएस से जुड़ी टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से बाहर किया गया. यह सारा नजारा राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने के दौरान हुआ.धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलने के दौरान तेजस्वी तेजस्वी ने कहा कि राज्य सरकार के मंत्री धन की कमी का रोना रोते हैं. उधर सीएजी को दो लाख करोड़ रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है. बहस के दौरान ऐसे ही चुटीले अंदाज में जातीय जनगणना की अपनी मांग की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि जब हम कुंवारे थे, जातीय जनगणना के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की चर्चा हुई थी. हमारी शादी हो गई. बैठक नहीं हुई. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे बैठक बुलाएं, जिन्हें आना होगा, आ जाएंगे.

तेजस्वी यादव ने सहज मगर आक्रामक शैली में सरकार के सहयोगी भाजपा और जदयू के बीच के विरोधाभासी बयानों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि सरकार से जुड़े किसी मुद्दे पर दोनों दल एकराय नहीं रखते. शराबबंदी, भ्रष्टाचार, अफसरशाही और विशेष राज्य के दर्जे पर दोनों दलों के नेताओं की बयानबाजी में यह विरोधाभास झलक जाता है. इस दौरान उन्होंने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल और उपमुख्यमंत्री के बयानों का जिक्र किया.तेजस्वी ने विधानसभा अध्यक्ष की उस टिप्पणी का भी उल्लेख किया, जिसमें शराबबंदी कानून को लागू करने में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाया गया था. उन्होंने कहा-विधानसभा अध्यक्ष की बात थानेदार नहीं सुनता है. मंत्री कहते हैं कि उनकी बात विभाग के अफसर नहीं मानते हैं. ऐसे में आम लोगों के साथ पुलिस कैसे पेश आती है, यह सोचने वाली बात है.

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