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बीटेक इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स के तीन छात्रों ने ‘इंटेलिजेंट प्रोस्थेटिक लिम्ब’ नामक आविष्कार किया

इस आविष्कार को जल्द सरकार के समक्ष पेशकर बड़े पैमाने पर उत्पादन का आग्रह किया जाएगा

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 बीटेक इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स के तीन छात्रों ने ‘इंटेलिजेंट प्रोस्थेटिक लिम्ब’ नामक आविष्कार किया

सिटी पोस्ट लाइव : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) जमशेदपुर के बीटेक इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स के तीन छात्रों ने ‘इंटेलिजेंट प्रोस्थेटिक लिम्ब’ नामक आविष्कार किया है। यह हादसों में हाथ और पैर गंवा चुके लोगों के लिए वरदान है। इसके जरिए अंग विहीन इंसान भी सामान्य हाथ व पैर वाले इंसानों की तरह सारे काम कर पाएगा। इसे छात्र भारत सरकार के समक्ष पेशकर पेटेंट कराने की कोशिश में जुटे हैं।एनआइटी के छात्र अभिषेक पांडेय, सागर रेड्डी व अभिजीत कुमार को इस आविष्कार की प्रेरणा साथ पढ़ने वाले एक सहपाठी को देखकर मिली। सहपाठी का एक हाथ नहीं है हमारे शरीर का यह सिस्टम है कि जब हम किसी अंग को हिलाने की कोशिश करते हैं तो उस अंग से जुड़ा हुआ न‌र्व्स से सिग्नल मिलता है। इंटेलिजेंट प्रोस्थेटिक लिम्ब व्यक्ति के कटे हुए हाथ-पैर के न‌र्व्स में लगाया जाएगा। लिम्ब दिमाग से सिग्नल लेकर एक प्रोग्राम चिप में डालेगा।

ये चिप इनपुट के हिसाब से आउटपुट उस हिसाब से देगा कि लिम्ब पर लगे हुए इलेक्ट्रोएक्टिव पॉलिमर को इतनी ऊर्जा मिले ताकि वह उसी तरह हरकत करे जैसे सामान्य व्यक्ति के हाथ-पैर करते हैं। टीम के लीडर अभिषेक पाडेय बताते हैं कि कृत्रिम हाथ-पैर बनाने के लिए हड्डियों की जगह एल्यूमीनियम और मासपेशियों की जगह इलेक्ट्रोएक्टिव पॉलिमर का इस्तेमाल किया जाएगा। इलेक्ट्रोएक्टिव पॉलिमर की विशेषता ये है कि इलेक्ट्रिक सिग्नल मिलने पर यह फैलता और सिकुड़ता है। त्वचा पॉली वेनाइल फ्लोराइड की बनाई जाएगी। प्रोग्राम चिप आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के आधार पर काम करता है। चिप खुद सामान्य इंसान के हाथ पैरों की हरकत देखकर प्रशिक्षण लेता रहता है कि किस प्रकार काम करते हैं। अबतक इस तरह की व्यवस्था के लिए दिमाग में ऑपरेशन कर न्यूरल इंटरफेस लगाया जाता है, जो बहुत जोखिम भरा होता है। इस खोज के बाद दिमाग का ऑपरेशन करने की जरूरत नहीं होगी। जो अंग कटा होगा उसी में लगेगा। हाथ-पैर कटने के बाद बचे भाग की मासपेशियों में मसल्स मेमोरी बची रहेगी, ताकि फिर से हरकत करना सीखना न पड़े। हाथ-पैर कटा हुआ इंसान और सामने वाला इंसान इन अंगों के स्पर्श का अनुभव कर सकेगें।विभागाध्यक्ष इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, एनआइटी जमशेदपुरआरएन मोहंती ने कहा कि यह आविष्कार वरदान है। इस आविष्कार को जल्द सरकार के समक्ष पेशकर हादसों में हाथ-पैर गंवा चुके लोगों के लिए बड़े पैमाने पर उत्पादन का आग्रह किया जाएगा। बच्चों को इसके लिए बधाई।

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