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किसानों के समक्ष आत्महत्या करने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं होगा: मुख्यमंत्री

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कृषि से संबंधित केंद्र सरकार द्वारा संसद में पारित तीन नये विधेयक को किसान विरोधी करार दिया है। मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को रांची स्थित झारखंड मंत्रालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि  नये कृषि बिल में अनुबंध खेती का प्रावधान किया गया है, राज्य में बड़ी संख्या में अनुबंधकर्मी कार्यरत है, लेकिन उनकी क्या हालत है, यह सभी देख रहे है, अनुबंधकर्मी अक्सर रांची के बिरसा चौक या मोरहाबादी मैदान में आंदोलन करते नजर आ जाते है, अनुबंधकर्मियों की परेशानियों को लोग समझ सकते है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांट्रेक्ट फॉर्मिंग (अनुबंध खेती) में यदि कोई किसान मजबूरीवश अनुबंध तोड़ता है, तो फिर उसका क्या होगा। उन्होंने कहा कि अडाणी-अंबानी जैसे पूंजीपति झारखंड के किसी मंगरा मुंडा से कांट्रेक्ट फॉर्मिंग को लेकर समझौता करते है और बाद में किसी कारण से अनुबंध टूट जाता है, तो फिर कोर्ट किसके पक्ष में फैसला देगा , यह सबको पता है, सुप्रीमो कोर्ट और हाईकोर्ट का चक्कर लगाते-लगाते किसान के पैर का चप्पल घीस जाएगा, किसान के पास आत्महत्या करने के सिवा कोई दूसरा चारा नहीं बचेगा।

हेमंत सोरेन ने कहा कि नये कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमआरपी) से अधिक दाम किसानों को देने की कोई बात नहीं लिखी गयी है। उन्होंने इस विधेयक को संघीय ढांचे पर सबसे बड़ा प्रहार बताते हुए कहा कि झारखंड के किसानों की परिस्थिति अलग है, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात या हिमाचल प्रदेश के किसानों की खेती का अलग तरीका है। उन्होंने कहा कि जो विषय केंद्र के अधीन है, वैसे सभी मामलों में मनमुताबिक कानून बना रही है, जबकि जिस विषय पर केंद्र के साथ राज्यों की भी सहमति जरूरी है, उन मसलों पर भी राज्यों से सुझाव नहीं लिया जा रहा है और अब राज्य से संबंधित विषयों पर भी केंद्र सरकार मनमाने तरीके से कानून बना रही है, यह केंद्र सरकार के तानाशाही रवैये को दर्शाता है।

उन्होंने बताया कि झारखंड में वर्षां पहले महाजनी प्रथा के खिलाफ बड़ा आंदोलन हुआ था, अब महाजनी प्रथा नये स्वरूप में आने जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने दूसरी बार पदभार ग्रहण करने पर 23 मई 2019 को संसद में लंबा भाषण दिया था, जिसमे कई रिफार्म की बात कही गयी,उस समय उन्हें यह अंदेशा हुआ था कि भाजपा सरकार कुछ बड़ा कदम उठाने जा रही है, बैंक, कृषि शिक्षा नीति में बदलाव से सभी प्रभावित हुए है।  उन्होंने बताया कि यह अभी सभी ने देखा है कि डीवीसी के बकाये मसले पर केंद्र सरकार का कैसा रवैया रहा, अब काले कृषि कानून से किसान आत्महत्या करने को मजबूर होंगे और यह सिलसिला शुरू भी हो चुका है। उन्होंने बताया कि नयी नीति से जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा, अभी तक आलू-प्याज के दाम घटने-बढ़ने की बात सुनी थी, अब भिंडी, बैगन और अन्य हरी सब्जियों की कीमतों पर भी पूंजीपतियों का नियंत्रण हो जाएगा। किसान का व्यवसाय पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि यदि कोई कंपनी किसान के साथ किसी ऐसे फसल उत्पादन को लेकर अनुबंध करती है, जिसका राज्य में कोई खास मांग नहीं हो, इस बीच यदि कंपनी डूब जाती है, तो उस किसान के फसल को कोई खरीदने को तैयार नहीं होगा, तब किसान की क्या स्थिति होगी, यह बारे में परिकल्पना तक नहीं की गयी है। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने नाबार्ड के सहयोग से कृषि उपज के लिए बाजार की व्यवस्था और आधारभूत संरचना तैयार करने के लिए 250 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है।

हेमंत सोरेन ने कहा कि संसद में पारित कृषि बिल के खिलाफ आज किसान संघों ने भारत बंद का आह्वान किया है, जिस तरह से येन-केन-प्राकेरण केंद्र सरकार ने इस कानून को पारित कराया गया है और राज्यों तथा किसानों पर इस कानून को थोप दिया है, उसके खिलाफ पूरे देश में आक्रोश का माहौल है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पहले अध्यादेश के माध्यम से सारी चीजों को सामने लाती है और संविधान में प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग कर उसे कानून बना दिया जाता है। इससे आम जनता की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी है। उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आ रहा है कि प्रधानमंत्री देश को किस दिशा में ले जाना जा रहे है, अभी जीएसटी भी ठीक तरीके से लागू नहीं हुआ है, जीएसटी के माध्यम से हजारों करोड़ रुपये घोटाले की बात सामने आ रही है, वहीं कोल ब्लॉक नीलामी और शिक्षा नीति के बाद अब कृषि बिल से पूरे देश में आक्रोश का माहौल है।

उन्होंने कहा कि राज्य से संबंधित विषय में केंद्र तभी कानून ला सकती है, जब आपातकाल हो या राज्य सरकार की ओर से ऐसा करने का आग्रह किया गया हो अथवा दो तिहाई से अधिक सांसदों की ओर से देशहित में इसे जरूरी बताया गया है, देश में अभी ऐसी कोई स्थिति नहीं है, तभी कानून को बदला गया है। हेमंत सोरेन ने कहा कि जनता सड़क पर उतरने को तैयार है,  जल्द ही उलगुलान (आंदोलन) होगा। उन्होंने कहा कि चाणक्य नीति में भी यह कहा गया है कि जिस देश का राजा व्यापारी होता है, देश की जनता भिखारी होती है। किसानों ने अब मोर्चा संभाल लिया है, किसानों के साथ छल हुआ है, इसके खिलाफ सहयोगी और समान विचाराधारा वाले दलों के साथ मिलकर संघर्ष होगा।

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