अब RJD को नहीं खल रही लालू की कमी, उसे मिल चूका है नया SUPREMO
भले तेजस्वी के पास बीए एमए की डीग्री नहीं है .लेकिन विधान सभा में जब वो बोलते हैं तो विरोधी असहज मह्सुश करने लगते हैं. अब सब कुछ आईने की तरह साफ हो गया कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव केवल मार्गदर्शक की भूमिका में हैं.पार्टी संगठन से लेकर चुनावी रणनीति बनाने तक ,पार्टी का सारा दारोमदार तेजस्वी संभाल चुके हैं. है.अब लालू यादव सिर्फ एक मार्गदर्शक की भूमिका में हैं. कनका कुमार की एक विशेष रिपोर्ट –
सिटीपोस्टलाईव: कांग्रेस-जीडीएस की नई सरकार के शपथ समारोह में विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं के बीच आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी का आमंत्रित किया जाना कोई छोटी राजनीतिक घटना नहीं थी..देश के तमाम बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करने से तेजस्वी का कद अचानक बहुत बढ़ गया है.विपक्षी दलों के बीच उनकी स्वीकार्यता बढ़ना एक बहुत बड़ी राजनीतिक घटना है.बंगलुरु में मंच पर कांग्रेस की सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं मायावती समेत देश भर के कई बड़े कद-पद एवं प्रभाव वाले नेताओं के साथ तेजस्वी बिहार से बाहर मंच पर नजर आये. एचडी कुमारस्वामी सरकार के शपथ समारोह में बिहार से आमंत्रित किये जानेवाले एकलौते नेता थे तेजस्वी.
तेजस्वी ,राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो, लालू की जगह ले चुके हैं. बेंगलुरु में नई सरकार के शपथ समारोह में बुलाए जाने और बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करने से तेजस्वी की स्वीकार्यता विपक्षी दलों व महागठबंधन में भी बढ़ गई है. बिहार में प्रतिद्वंद्वी दलों के नेता भी अब मानने लगे हैं कि आरजेडी में तेजस्वी ही सबसे बड़ा नेता हैं.इसमे शक की कोई गुंजाईश नहीं कि पहले उनकी पार्टी के ही कुछ बरिष्ठ नेता तेजस्वी को नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री प्रत्याशी बनाने को लेकर असहज मह्सुश कर रहे थे.लेकिन अब उन्हें भी लगाने लगा है कि तेजस्वी को लालू यादव का केवल पुत्र समझाना समझदारी नहीं है.
आरजेडी का मतलब लालू, लालू का मतलब आरजेडी होता था.लेकिन अब आरजेडी का मतलब आरजेडी होगा.जीतन राम मांझी ने ऐसे ही नहीं कह दिया कि तेजस्वी उनसे बड़े नेता है.तेजस्वी को वो अगले मुख्यमंत्री मानते हैं.दरअसल सत्ताधारी दल के बड़े नेता भी तेजस्वी को नजर-अंदाज करने की भूल नहीं कर रहे हैं.बिहार में बीजेपी के सबसे बड़े नेता उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का अगर टारगेट बदल गया है तो इसकी ठोस वजह है. सुशील मोदी अब लालू यादव पर नहीं,तेजस्वी को टारगेट करते दीखते हैं.दरअसल लालू यादव की बीमारी और राजनैतिक संकट की ही देन है कि तेजस्वी इतने कम समय में लालू की जगह ले पाए हैं.ये दीगर बात है कि लालू लालू हैं लेकिन उनका यह बेटा बदलते जमाने के हिसाब से ज्यादा फिट दिख रहा है.
बदलते जमाने के साथ तो तेजस्वी हैं ही ,सबसे ख़ास बात ये है कि तेजस्वी को अखिलेश यादव की तरह अपने पिता के आलोचना का सामना नहीं करना पड़ता.पार्टी के बड़े नेता भी मान रहे हैं कि तेजस्वी के फैसले को लालू यादव भी नहीं बदलते हैं.यानी पार्टी के अन्दर भी यह संदेश जा चूका है कि लालू यादव की जगह पूरी तरह से तेजस्वी ले चुके हैं.उनकी बात अकाट्य है.
आरजेडी का मतलब लालू, लालू का मतलब आरजेडी होता था.लेकिन अब आरजेडी का मतलब आरजेडी होगा.भले तेजस्वी के पास बीए एमए की डीग्री नहीं है .लेकिन विधान सभ में जब वो बोलते हैं तो विरोधी असहज मह्सुश करने लगते हैं. अब सब कुछ आईने की तरह साफ हो गया कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और लालू यादव केवल मार्गदर्शक की भूमिका में हैं.पार्टी संगठन से लेकर चुनावी रणनीति बनाने तक ,पार्टी का सारा दारोमदार तेजस्वी पर ही है.अब लालू यादव मार्गदर्शक की भूमिका में हैं.
Comments are closed.