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आगामी वर्ष से समय पर निरंतर दीक्षान्त समारोह का आयोजन होगा : राज्यपाल

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आगामी वर्ष से समय पर निरंतर दीक्षान्त समारोह का आयोजन होगा : राज्यपाल

सिटी पोस्ट लाइव : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि रांची विश्वविद्यालय से वर्ष 2009 में विभाजित होकर सृजित यह नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय महान स्वतंत्रता सेनानी एवं वीर सपूत नीलाम्बर एवं पीताम्बर के नाम पर स्थापित है।
राज्यपाल ने गुरुवार को नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह में मेदनीनगर में कहा कि सर्वप्रथम वह उन दो महान एवं वीर स्वतंत्रता सेनानी नीलाम्बर एवं पीताम्बर को नमन करती हूं एवं उनके प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करती हूं। इस विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में पलामू, गढ़वा एवं लातेहार जिले आते हैं। यह विश्वविद्यालय अपनी गुणवत्तापूर्ण-शैक्षणिक-वातावरण, अकादमिक गतिविधियों खेलकुद एवं अन्य क्रियाकलापों से अपनी पहचान बनाने में प्रयासरत है। राज्यपाल ने कहा कि आज का दिन उन मेधावी विद्याथिर्यों के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। यह उपाधि आपकी मेधा, प्रतिभा, लगन और परिश्रम का प्रतिफल है। हालांकि मैं भी यहां दीक्षान्त समारोह के आयोजन के लिए उत्सुक थी, आगामी वर्ष से समय पर निरंतर दीक्षान्त समारोह का आयोजन होगा, ऐसी अपेक्षा है। उपाधि प्राप्त करने वाले प्रत्येक विद्यार्थियों को मैं अपनी असीम शुभकामनायें और मंगल कामनायें देती हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि वे अपने जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का कुशलतापूर्वक सामना करेंगे, राष्ट्र की प्रगति में अपनी महती भूमिका निभाएंगे। सफलता सर्वोच्च शिखर पर पहुंचकर झारखण्ड राज्य के राष्ट्र स्तर पर ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर एक विशिष्ट पहचान दिलाने में अहम् भूमिका निभाएंगे।
राज्यपाल ने कहा कि आपकी कृति से नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय का गौरव जुड़ा हुआ है। आज हमारा देश विश्व-पटल पर अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाने में जुटा हुआ है। हमारी प्रतिस्पर्धा वैश्विक स्तर की उच्च शिक्षण संस्थान से होनी चाहिए। हमें अपनी सांस्कृतिक, नैतिक जीवन मूल्य के अनुरूप ही अपना सर्वांगीण विकास करना है। आज हमें विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थान और योग्य प्रतिभाशाली शिक्षक की आवश्यकता है। मैं चाहूंगी कि हमारे शिक्षक वैश्विक शैक्षणिक गतिविधियों से स्वयं को अनवरत जोड़ें। वे अद्यतन ज्ञान-विज्ञान, शौध-अनुसंधान से पूर्णतः परिचित हैं। हमारे शिक्षक भी ज्ञान-विज्ञान-कला-तकनीकी-अनुसंधान के प्रत्येक क्षत्रों में अपनी मौलिकता का परिचय देते हुए अनेक उपलब्धियां हासिल करें। साथ ही वे अपने विद्यार्थियों के भी अद्यतन ज्ञान से लाभान्वित करें। वे विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन कर उनके लिए प्रेरणास्रोत का कार्य करें। सच्चा शिक्षक वही है जो अपने विद्यार्थियों में छिपी प्रतिभा, कुशलता और ज्ञान के बाहर लाये।
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खनिज सम्पदा से समृद्ध हमारे राज्य में विकास की असीम संभावनायें हैं, लेकिन बौद्धिक संपदा के बिना हम इनका कुशलतापूर्वक समुचित उपयोग नहीं कर सकते। इस परिप्रेक्ष्य में विश्वविद्यालय की अहम भूमिका है। ज्ञान और सूचना तकनीक के विभिन्न आयामों के जरिये ही हम विकास की गति को और तीव्र कर सकते हैं। इस प्रदेश की जीवन्त कला-संस्कृति की राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान है। हमारा प्रयास है कि राज्य के अधिक-से-अधिक युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करें, चाहे वो किसी वर्ग के हो, लड़कियों, पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित करने की दिशा में और विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उच्च शिक्षा के विस्तारीकरण के लिए आवश्यकतानुसार नए शिक्षण संस्थान भी स्थापित होंगे। ज्ञान-अर्जन में जाति, लिंग व वर्ग कभी बाधक न बने। शिक्षा से ही लोगों में जागृति आ सकती है तथा सामाजिक कुरीतियों का पूरी तरह से समाज से अन्त हो सकता है।
उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय तथ्य है कि ज्ञान और तकनीकी के प्रतियोगितात्मक युग में विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। कक्षा में अर्जित ज्ञान की सार्थकता, उसके सामाजिक प्रतिफलन में है। हमारे शिक्षण संस्थानों की यह कोशिश होनी चाहिए कि विद्यार्थी एक सामाजिक, सु-संस्कृत और कुशल नागरिक के रूप में विकसित हों। वे नैतिकवान एवं चरित्रवान हों। ऐसे नागरिक निश्चित रूप से देश और समाज के लिए अमूल्य संपदा सिद्ध होंगे। इन अर्थों में देखें तो दीक्षांत समारोह शिक्षा का समापन नहीं; बल्कि आरम्भ होता है।
राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों आज आप उपाधि ग्रहण कर रहे हैं, केवल यही जीवन का मकसद नहीं है। आपको जीवन के कर्म-क्षेत्र में प्रवेश कर अपनी दक्षता एवं प्रतिभा से अपनी पहचान स्थापित करनी है। आप जिस किसी भी क्षेत्र में कार्य करें, उसमें उत्कृष्टता हासिल करने की ओर सतत् प्रयासरत रहें। आप कभी भी अपने-आपको कमजोर न समझें, हमेशा मजबूत इरादों के साथ लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ें और अपनी प्रतिभा से सफलता का ऐसा परचम लहरायें कि आपको यह विश्वविद्यालय ही नहीं, बल्कि पूरा राज्य और राष्ट्र आदर्श उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करें। अत्यन्त हर्ष की बात है कि शिक्षा के विकास की दिशा में मेडिकल कॉलेज की स्थापना इस विश्वविद्यालय के अन्तर्गत हो रही है। नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय में द्वितीय पाली में नामांकन-शिक्षण एक सराहनीय पहल है। नया स्वरूप प्रदान करेंगे, इससे विश्वविद्यालय के विकास में एक नया अध्याय जुड़ सकेगा।
राज्यपाल ने कहा कि नीलाम्बर-पीताम्बर विश्वविद्यालय ने नारी उत्थान की दिशा में सार्थक एवं सशक्त कदम उठाकर सराहनीय कार्य किया है। ‘‘नारी सशक्तिकरण’’ विषय पर सेमिनार करके विश्वविद्यालय ने ‘‘महिला सुरक्षा’’ की अपनी सोच को स्पष्ट किया है तथा महिला सुरक्षा से सम्बंधित कार्यक्रम क्रियान्वित किया है। इसके लिए कुलपति बधाई के पात्र हैं।

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