फरक्का पुल मरम्मत से पाकुड़ का पत्थर उद्योग हुआ बदहाल
पाकुड़ : पश्चिम बंगाल स्थित फरक्का पुल की मरम्मत का काम शुरू क्या हुआ पाकुड़ का पत्थर व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। वजह पाकुड़ के पत्थर उत्पाद का अधिकांश इसी से होकर पश्चिम बंगाल के विभिन्न इलाकों के अलावा बिहार के बाजारों में भेजे जाते रहे हैं । चाहे सड़क मार्ग से हो अथवा रेलवे द्वारा। पुल की मरम्मत के मद्देनजर इस होकर आवागमन ठप होने के चलते इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े तकरीबन डेढ़ लाख लोग प्रभावित हो गए हैं । पाकुड़ के विश्व प्रसिद्ध काला पत्थरों की सबसे ज्यादा मांग बिहार में है । लेकिन इन दिनों फरक्का के साथ ही भागलपुर गंगा पुल की मरम्मत का काम साथ साथ चल रहा है । फरक्का पुल की मरम्मत का काम पूरा होने में कम से कम छह महीने लगने की बात बतायी जा रही है। जबकि भागलपुर गंगा पुल की मरम्मत का काम अक्टूबर महीने के अंत शुरू होने की उम्मीद जताई गई है । दोनों पुलों पर से एक साथ परिवहन बंद होने से यहाँ के पत्थर कारोबारियों की कमर टूट सी गई है । क्योंकि 70 फीसदी पत्थर उत्पाद सड़क मार्ग से ही भेजे जाते हैं । त्यौहारी मौसम में व्यवसाय ठप होने के चलते यहाँ का उत्सवी माहौल फीका पड़ गया है । गत पांच अक्टूबर से फरक्का पुल की मरम्मत के मद्देनजर सुबह पांच बजे से शाम सात बजे तक भारी वाहनों के आवागमन पर लगायी गई रोक के चलते पुल के दोनों ओर कमोबेश 35 से 40 किलोमीटर लंबा जाम लग जाता है । उल्लेखनीय है कि इस पुल से होकर ही राष्ट्रीय उच्च पथ-34 भी गुजरती है । पत्थर व्यवसायी शंकर भगत, सुरेन्द्र टिबड़ेवाल आदि ने बताया कि मरम्मत से पहले तक प्रति खेप चौबीस घंटे का वक्त लगता था वहीं आज कम से कम पांच दिन लग जाते हैं । ऐसी स्थिति में फिलवक्त यह धंधा हमारे लिए घाटा व परेशानी की वजह बन गया है । सहायक जिला खनन पदाधिकारी सुरेश शर्मा ने कहा कि फरक्का पुल मरम्मत का काम शुरू होने के चलते जिले का पत्थर व्यवसाय बुरी तरह से प्रभावित हुआ है । तकरीबन 70 फीसदी की कमी आ गई है। फलस्वरूप अकेले खनन विभाग को औसतन रोजाना सात लाख रुपये का नुकसान हो रहा है ।
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