योजना निर्माण के साथ-साथ मेंटेनेंस व ऑपरेशन की भी करें प्लानिंग : चंद्रप्रकाश चौधरी
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सिटी पोस्ट लाइव : राज्य के जल संसाधन पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी ने आज नेपाल हाउस सचिवालय के सभागार में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की पेयजलापूर्ति योजनाओं का हाल जाना और डैमों की की मौजूदा स्ट्रक्चर से अवगत हुए। साथ ही योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही व्यवहारिक व तकनीकी बाधा की भी जानकारी ली। समीक्षा बैठक में मुख्यालय सहित राज्यभर से आये अभियंताओं को उन्होंने कहा कि छोटी एवं बड़ी योजना का निर्माण तो किया जा रहा है मगर इसके मेंटेनेंस व ऑपरेशन का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। उन्होंने निर्देश दिया कि फील्ड में जाकर प्लानिंग करके मेंटेनेंस व ऑपरेशन को लेकर इसके बजट का प्रस्ताव तैयार करें ताकि भविष्य में भी योजना का लाभ लोगों को मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि योजना निर्माण के कुछ एक वर्ष तक ऑपरेशन एवं मेंटेनेंस तो होता है। मगर बाद में योजना पर ग्रहण लग जाता है। अब से ऐसा नहीं हो, इसका ध्यान अभी से ही रखना शुरू कर दें। उन्होंने पेयजल विभाग के डैमों के स्ट्रक्चर की जांच कराने के साथ- साथ गेट व बांध की मरम्मत कराने का निर्देश दिया। कहा कि कई डैम का निर्माण हुए कई वर्ष गुजर चुका है। इस लिहाज से डैमों की क्या स्थिति है। यह जानना व समझना भी जरूरी हो गया है। उन्होंने विभाग के अभियंताओं से कहा कि डैम के आसपास अतिक्रमण नहीं हो इसका ध्यान रखें और चाहर दीवारी का निर्माण कराये क ।साथ ही यह भी सुनिश्चित करें की डैमों में गंदा पानी का प्रवेश नहीं हो। उन्होंने बंद पड़ी छोटी-छोटी बिजली व सोलर आधारित लघु जलापूर्ति योजना का जिला स्तर पर सर्वे कराकर प्राक्कलन बनाकर जिला स्तर से राशि प्राप्त करने और राशि प्राप्त नहीं होने पर डीसी के माध्यम से मुख्यालय को प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया । यह भी कहा की जो योजना पाइप लाइन में है, उसको पूरा कर राज्य का कवरेज बढ़ाया जाय ताकि अगले 3 वर्षों में 50þ के लक्ष्य को तय समय पर पाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह आमतौर पर देखा व सूना जा रहा है कि कई योजना बनकर तैयार है मगर बिजली के अभाव में चालू नहीं हुआ है। यह स्थिति नहीं बना रहे, इसका ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना को चलाने में जहां-जहां लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है वहां- वहां स्टेबलाइजर की व्यवस्था रखें। उन्होंने संवेदकों की संख्या बढ़ाने और नये संवेदक को काम देने को कहा। साथ ही यह भी कहा की संवेदकों को काम नहीं मिलेगा तो उनके रजिस्ट्रेशन का क्या मतलब है। अगर इस काम में किसी तरह की विभागीय स्तर पर परेशानी है तो इस बाबत आगे प्रस्ताव बढ़ाइये ताकि इसका समाधान किया जा सके। योजना तो बनती जा रही है लेकिन काम कराने वाले लोग नहीं हैं, इसका भी ध्यान रखा जाना चाहिए। उन्होंने समीक्षा के दौरान साहेबगंज, बरही, कांड्रा- रघुनाथपुर, सुंदर पहाड़ी, चित्रा मेगा योजना( साहेबगंज, बरहेट राजमहल), निरसा- गोविंदपुर, पांकी, छतरपुर, पाटन, हरिहरगंज, लेस्लीगंज, शिकारीपाड़ा, चाईबासा मोगरा, बागबेड़ा, छोटा गोविंदपुर आदि योजना की प्रगति पर असंतोष जाहिर किया और संबंधित अभियंताओं से कार्य में तेजी लाने और किसी प्रकार की परेशानी है तो मुख्यालय स्तर पर समाधान करने को कहा। इस दौरान उन्होंने पेटरवार, कसमार, रामगढ़, देवघर मधुपुर धनबाद गिरिडीह व गोड्डा में चल रही योजनाओं का भी जायजा लिया। साथ ही आवंटित राशि और खर्च का ब्योरा भी जाना। समीक्षा के क्रम में जब यह बात सामने आयी की सुंदर पहाड़ी ग्रामीण जलापूर्ति योजना का कार्य 82 प्रतिशत पूरा हो गया है। इसके बाद संबंधित एजेंसी द्वारा मैकेनिकल साइड का काम बंद कर दिया गया है। यह स्थिति पिछले कई माह से बना हुआ है । बार-बार कहने पर भी एजेंसी बचे काम को पूरा करने दिलचस्पी नहीं ले रहा है। इस पर संबंधित कार्यपालक अभियंता एवं मुख्यालय के पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया कि शीघ्र एजेंसी व संवेदक को तलब कर मुख्यालय स्तर पर इसका समाधान किया जाय और नहीं होता है तो उसे बाहर कर दिया जाय बाद उसे बाहर कर दिया जाय। बैठक में अभियंता प्रमुख तनवीर अख्तर, मुख्य अभियंता सह क्षेत्रीय मुख्य अभियंता हीरालाल प्रसाद, मुख्य अभियंता सह निदेशक पीएमयू श्वेताभ कुमार, संयुक्त सचिव प्रबंधन राम प्रवेश सिंह , आप्त सचिव गणेश महतो, सभी अंचल के अधीक्षण अभियंता व प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता शामिल हुए।
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