सिटी पोस्ट लाइव : विधान सभा चुनाव में JDU-LJP के बीच पैदा हुई तल्खी ख़त्म होनेवाली नहीं है.चिराग पासवान ने बीच नरम रुख तो अपनाया लेकिन JDU ने उसे नजरअंदाज कर दिया. फिर क्या था चिराग पासवान ने फिर से हमला शुरु कर दिया.तल्खी इतनी बढ़ी कि नीतीश कुमार ने एक ही झटके में चिराग पासवान का ‘बंगला’ खाली करा लिया .बंगाल खाली करने से पहले ही जेडीयू ने एलजेपी के बंगले में ऐसी सेंध लगाई कि एक झटके में पार्टी के दर्जनों नेता चिराग पासवान को छोड़ JDU के साथ हो चुके हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी पार्टी प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने जेडीयू का बहुत नुकसान किया था. चिराग ने जिस तरह की पॉलिटिक्स की, उससे 42 सीटों पर जेडीयू को हार का सामना करना पड़ा. हर जगह वजह चिराग पासवान बने. यहां तक कि जेडीयू से बड़े भाई का तमगा छिन गया. सीटों की संख्या कम हो गई. नीतीश कुमार का रुतबा पहले वाला नहीं रहा. वो धमक नहीं रही. सियासत में नीतीश ने ये दिन शायद ही कभी देखा होगा.
इतना सब कुछ हो गया बावजूद इसके वो चुप रहे. सियासी दांव चलने के लिए वक्त की ओर देखने लगे. संगठन को मजबूत करने में जुट गए. इसकी शुरुआत उन्होंने खुद अध्यक्ष पद छोड़कर की. आरसीपी को पार्टी को कमान दी. 208 एलजेपी नेताओं को नीतीश कुमार ने अपने पाले में करके दिखा दिया कि सियासत में अभी भी चिराग को उनसे बहुत कुछ सीखना बाकी है.
चिराग खुद को पीएम मोदी का ‘हनुमान’ कहते थे. उस ‘हनुमान’ की पूरी सेना को नीतीश के अपने पाले में कर दिया. अब पासवान फैमिली के अलावा पार्टी में कोई दिख नहीं रहा. चुनाव में चिराग की क्या हालत हुई, वो किसी से छुपी नहीं रही. वो खुद अपनी जमीन गंवा बैठे हैं. सियासी पिच में चिराग के सामने घना अंधेरा है. ये अंधेरा बड़ा ही घना है क्योंकि राजनीति में संगठन के बिना कुछ नहीं होता. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि एलजेपी से आये सभी लोगों से जेडीयू और मजबूत होगी. जिस उम्मीद से एलजेपी छोड़ 208 नेता आए हैं, उनके मान-सम्मान का खयाल रखा जाएगा. जेडीयू में वंशवाद और परिवारवाद नहीं है.
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