झारखंड में 5500 से अधिक छोटे-बड़े पंडाल, 65 करोड़ से अधिक खर्च
सिटी पोस्ट लाइव : भले ही कोलकाता में दुर्गा पूजा का एक पंडाल 15 करोड़ रुपए का बना हो लेकिन झारखंड में भी पंडालों पर करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। पूरे झारखंड में 5500 से अधिक छोटे-बड़े पंडाल बन रहे हैं। इन पर 65 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहा है। सबसे अधिक रांची और आसपास के 300 पड़ालों पर 9.5 करोड़, जमशेदपुर में 258 पंडालों पर करीब 7.5 करोड़, धनबाद में पंडालों पर 7 करोड़, बोकारों में 6.25 करोड़, हजारीबाग में 4.2 करोड़, पलामू में 3.75 करोड़ रुपए खर्च किया गया है।
- रांची रेलवे दुर्गा पूजा समिति, रांची
- 35 लाख कुल खर्च
- पंडाल- 30 लाख रुपए, प्रतिमा- 2 लाख, साउंड- 1.5 लाख, लाइट-1.5 लाख रुपए।
- रेलवे दुर्गा पूजा समिति 1947 से पूजा करते आ रही है। उस समय पूजा पर लगभग 200 रुपए खर्च होते थे। रेलवे के त्रिपाल से पंडाल बनाया जाता था। अब यहां का पंडाल हर बार नई थीम पर होता है। वर्ष 2011 में पहली बार पंडाल के लिए फर्स्ट प्राइज मिला। इसके बाद लगातार मिलता रहा।
- कमेटी के अध्यक्ष मुनचुन राय ने बताया कि यहां 2015 में राजस्थान, 2017 ओडिशा की कला-संस्कृति पर पंडाल बना था। इस बार झारखंड का थीम चुना। करीब चार महीने से बंगाल के 40 कारीगर पूजा पंडाल बना रहे हैं।
- श्रीश्री बांधगाड़ी दुर्गा पूजा समिति, कोकर, रांची
- 25 लाख खर्च
- पंडाल- 18 लाख, प्रतिमा- 3 लाख, लाइट व साउंड- 3 लाख, अनुष्ठान-1 लाख रुपए।
- पंडाल में न पेंट, न मिट्टी और न कपड़ा का उपयोग किया गया है। पूरा पंडाल सिर्फ बांस और बांस की कलाकृतियों से बना है। पंडाल के मुख्य मंडप के पास भगवान शिव को माता सती काे गोद में लेकर दिखाया गया है। समिति 1963 से पूजा कर रही है।
- समिति सदस्यों ने बताया कि बैठक में 51 शक्तिपीठ की चर्चा हुई। कारीगर बुलाए गए। उसे थीम के बारे में बताया। बंगाल के कारीगरों ने दो महीने में पंडाल बनाया।
- सेंट्रल भुइयांडीह एरिया दुर्गापूजा कमेटी, जमशेदपुर
- 28 लाख खर्च
- पंडाल- 22 लाख रुपए, प्रतिमा- 1 लाख रुपए, लाइटिंग व अन्य खर्च- 5 लाख रुपए।
- भुइयांडीह में यह समिति 1949 से पूजा कर रही है। 30 साल पहले मैदान में टेंट लगाकर पूजा शुरू हुआ जहां अब हर साल अलग-अलग थीम पर पंडाल बनाया जाता है। 1999 से थीम बेस्ड पंडाल बनना शुरू हुआ।
- इस साल पश्चिम बंगाल के 32 कारीगर केदारनाथ मंदिर का प्रारूप पिछले तीन महीने से बना रहे हैं। समिति के संस्थापक दुलाल भुइयां ने बताया कि कारीगरों को पंडाल की प्रतिकृति दिखाते हैं।
- कोर्रा पूजा समिति, कोर्रा हजारीबाग
- 20 लाख खर्च
- पंडाल-12.5 लाख, प्रतिमा-2 लाख, सजावट व अन्य खर्च- 5.5 लाख रुपए।
- समिति यहां 1949 से पूजा कर रही है। हर साल यहां पंडाल की थीम बदलती है। समिति के अध्यक्ष पवन कुमार ने बताया कि पंडाल बनाने से पहले समिति के सदस्यों ने कोलकाता के दक्षिणेश्वर मंदिर जाकर देखा। एक महीने में बंगाल के कारीगरों ने पंडाल बनाया। कतरास के 10 मूर्तिकाराें ने प्रतिमा बनाई।
- श्री सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी, बागबेड़ा, जमशेदपुर
- 25 लाख खर्च
- पंडाल- 21 लाख, प्रतिमा- 1.5 लाख, लाइटिंग व अन्य खर्च- 2.5 लाख रुपए।
- पूजा कमेटी 1926 से दुर्गा पूजा कर रही है। हर साल यहां थीम बेस्ड पंडाल बनाया जाता है। 2014 से भव्य पंडाल बनाया जा रहा है। हर साल आठ महीने पहले ही पंडाल की थीम पर चर्चा होती है और रिसर्च के बाद फाइनल किया जाता है।
- इस साल बौद्ध मंदिर का प्रारूप बनाने के लिए ढाई महीने पहले काम शुरू हुआ। बंगाल के 150 कारीगरों ने पंडाल बनाए हैं। हर साल कमेटी के सदस्य पंडाल की प्रतिकृति तय करते हैं।
- सिंहभूम ब्वॉयज क्लब एस टाइप, सरायकेला
- 20 लाख खर्च
- पंडाल- 13 लाख, प्रतिमा- 4 लाख, सजावट व अन्य खर्च- 3 लाख रुपए।
- सिंहभूम बॉयज क्लब एस टाइप 1975 से पूजा का आयोजन करता आ रहा है। हर साल नई थीम पर पंडाल बनाया जाता है। कमेटी के सदस्य हर साल थीम तय करने से पहले उस पर रिसर्च करते हैं। इस वर्ष पंडाल की थीम ” रामायण” पर केंद्रित है।
- पंडाल के अंदार रामायण के विभिन्न दृश्य को दर्शाया गया है। लाइट और साउंड के प्रभाव से लोग इसे महसूसे कर पाएंगे। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले एवं कोलकाता के कारीगर पंडाल बना रहे हैं।
- जयराम यूथ स्पोर्टिंग क्लब, आदित्यपुर, जमशेदपुर
- 35 लाख रुपए कुल खर्च
- पंडाल: 23 लाख रुपए
- प्रतिमा: चार लाख रुपए
- लाइट एवं अन्य: आठ लाख रुपए
- विशेषता: पंडाल के पास मैदान को जोतकर खेत बनाया, इसमें खाद डाला। हाइब्रिड नवग्रह, लेमन ग्रास और पहाड़ी पलास की रोपाई की। क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया। तीन महीने में पौधे छह फीट ऊंचे हो गए हैं।
- आदित्यपुर में 30 साल से भव्य पंडाल का निर्माण हो रहा है। मॉडल देखने व चयन करने के लिए छह माह पहले कमेटी के सदस्य बंगाल जाते हैं। इस साल ढाई महीने पहले खड़गपुर के 80 कारीगरों ने पंडाल बनाने का काम शुरू किया।
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