कांग्रेस के शासनकाल मेंहजारों स्वतंत्रता सेनानियों को भुलाने का काम हुआ : मुख्यमंत्री
सिटी पोस्ट लाइव : अमर शहीद बिरसा मुंडा ने अंग्रेजी शासन में राजधानी रांची के जिस पुराने जेल में अंतिम सांस ली, उस स्थल को अब राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में विकसित किया जाएगा। केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय और झारखंड सरकार के संयुक्त प्रयास से अब रांची स्थित भगवान बिरसा मुंडा जेल को म्यूजियम के रूप में
विकसित किया जाएगा। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री रघुवर दास और केंद्रीय जनजातीय कार्यमंत्री जुएल ओराम ने गुरुवार को बिरसा मुंडा कारागार के जीर्णाद्धार, संरक्षण और संग्रहालय का शिलान्यास किया। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस शहीद स्मारक में अमर शहीद बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू समेत अन्य शहीदों की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने शहीद बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू की जीवनी को पहले ही पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में
टाना भगतों की भूमिका की भी अनदेखी नहीं की सकती है। उन्होंने कहा कि देश में जिस कांग्रेस पार्टी ने 50-60सालों तक शासन किया, उसने हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को भुलाने का काम किया, देश में महापुरूषों के इतिहास के साथ भी राजनीति हुई। केंद्र में जब पहली बार एनडीए की सरकार बनी, तो ऐसे हजारों स्वतंत्रता सेनानियों की खोजबीन शुरू हुई और अब केंद्र में युग पुरूष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी, तो किसी प्रधानमंत्री ने पहली बार लाल किले के प्राचीर से शहीद बिरसा मुंडा को नमन किया। प्रधानमंत्री ने ऐसे शहीदों की गाथा का नया इतिहास लिखने को कहा और केंद्रीय मंत्रियों को विभिन्न राज्यों में भेजने का काम किया। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु पहुंचे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से अंडोबार-निकाबार के सेलुलर जेल को आकर्षक पर्यटन स्थल बनाया गया, उसे उन्होंने एकीकृत बिहार में विधायक रहने के दौरान ही देखा था, इसी तरह से संग्रहालय विकसित करने के लिए उन्होंने हिमानी पांडेय के
नेतृत्व में अधिकारियों का एक उच्चतरीय दल को अंडोबार-निकोबार भेजा, वहीं वरिष्ठ आईएएस अजय कुमार को भोपाल में निर्मित शहीद स्थल का निरीक्षण करने के लिए भेजा। झारखंड में भी ऐसा शहीद स्मारक बनाया जाए, जिसे देखने देश-दुनिया से लोग पहुंचेंगे। रघुवर दास ने बताया कि नवंबर महीने में पूरे झारखंड में हर जिले से शहीद परिवार के गांव की मिट्टी को लाने का काम किया जाएगा और आजादी की लड़ाई से लेकर अब तक शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए बगल के पार्क में स्मारक बनेगा। यह पार्क राष्ट्रीय चेतना का संचार करेगा। उन्होंने बताया कि शंघाई दौरे के दौरान उन्होंने टावर को देखा,यहां भी 150 मीटर उंचा टावर बनेगा, जहां से लोग पूरी राजधानी की झलक हासिल कर कसेंगे। उन्होंने उम्मीद जतायी कि एक वर्ष में इस स्मारक के निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा और वर्ष 2019 में नवंबर महीने में इसका उदघाटन होगा। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने बताया कि आजादी की लड़ाई में बिरसा मुंडा की भूमिका को सदा याद रखा जाएगा। अंग्रेजों द्वारा पकड़े जाने के बाद उन्हें रांची के इसी जेल में रखा गया था,जहां 9जून 1900 को उन्होंने अंतिम सांस ली। देश की आजादी की खातिर धरती आबा बिरसा मुंडा ने अपनी कुर्बानी दी। उन्होंने अंग्रेजी शासन काल में इस क्षेत्र पर हुकूमत को खत्म करने के लक्ष्य के साथ और जल, जंगल व जमीन की मिल्कियत को अक्षुण्ण रखने के लिए संघर्ष किया।आदिवासियों को एकजुट कर संघर्ष की रुपरेखा तैयार करने वाले बिरसा मुंडा से अंग्रेज अफसर काफी परेशान थ।इसलिए उन्होंने उलगुलान (आंदोलन) किया. लेकिन वे गिरफ्तार हुए. फिर उन्हें जेल में डाल दिया गया. बिरसा मुंडा को रांची के मुख्य स्थल पर बनी जेल में रखा गया था। अब यहां जेल नहीं है, अब यह स्मृति स्थल के रुप में जाना जाता रहा है । सरकार इसे संग्रहालय के रूप में विकसित किया जा रहा है। बिरसा मुंडा समेत अन्य शहीदों की जीवनी को प्रदर्शित करना सराहनीय कदम है,इससे देश प्रेम की भावना बढ़ेगी और झारखंड के इतिहास के बारे में भी लोगों को जानकारी मिल पाएगी।
समारोह को केंद्रीय मंत्री जोएल ओराम, केंद्रीय
राज्यमंत्री सुदर्शन भगत,ं मंत्री सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा, लुईस मरांडी, सांसद रामटहल चौधरी और कड़िया मुंडा ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर विधायक नवीन जायसवाल, डॉ. जीतू चरण राम, राम कुमार पाहन, गंगोत्री कुजूर, सीमा देवी और मेयर आशा लकड़ा समेत अन्य गणमान्य लोगों को भी उपस्थित थे।
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