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प. सिंहभूम जिले में जनजातीय आबादी में बढ़ोत्तरी हुई : नीलकंठ सिंह मुंडा

टीएसी उपसमिति की बैठक

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प. सिंहभूम जिले में जनजातीय आबादी में बढ़ोत्तरी हुई : नीलकंठ सिंह मुंडा
सिटी पोस्ट लाइव : जनजातीय समुदाय की आबादी में किन कारणों से निरंतर कमी हो रही है इसकी समीक्षा के लिए जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् की उप समिति के अध्यक्ष एवं ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में आज चाईबासा में बैठक की गई। वन पट्टा वितरण, जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास, आजादी के बाद से उद्योग अवस्थापन एवं जनजातीय समुदाय के विस्थापन जैसे विषयों पर मंथन किया गया। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री एवं उप समिति के अध्यक्ष नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि आजादी के बाद से कितनी जमीन का अधिग्रहण हुआ है, जमीन अधिग्रहण के उपरांत कितनी जनजातीय आबादी प्रभावित हुई, इन सभी चीजों की जानकारी इकट्ठा की जा रही है, ताकि उनके साथ न्याय किया जा सके। नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि जिले में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1951 से 2011 तक की जनगणना में पश्चिमी सिंहभूम ऐसा जिला है। जहां जनजातियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 1951 की जनगणना में 63.64 प्रतिशत थी जबकि 2011 की जनगणना में 67.31 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि जनगणना में छुटे हुए लोगों को जोड़ने तथा उनकी समस्याओं की समाधान पर विचार रखी। जिले में वृहत खनन पट्टा किसी भी जनजातिय व्यक्ति को नहीं मिला है। वृहत खनन पट्टा 13156 हेक्टेयर रकवा दी गई है। जिनमे वनभूमि 10046 हेक्टेयर 138 हेक्टेयर रैयती शेष सरकारी गैर मजरूआ भूमि है। मंत्री ने कहा कि 138  हेक्टेयर जमीन किन-किन रैयतो की जमीन  है, उन्हे मुआवजा मिला की नहीं। सिर्फ जमीन का अधिग्रहण हुआ कि मकान भी इन सभी बातों का रिर्पोट उपलब्ध कराने का निदेश दिया। लद्यु खनन पट्टा जिले में 25 दिए गए है। जिले में सड़क निर्माण से संबंधित भू अर्जन की भी जानकारी ली गई। वनाधिकार के तहत 6200 भूमि पट्टा उपलब्ध कराए गए है। खाद्य सूरक्षा के तहत आदिम जनजातियों को अच्छादित किया है। जिसमे 219 परिवार लाभान्वित हैं। उन्हें डाकिया योजना के तहत 35 किलो अनाज खाद्य आपूर्ति की जाती है। मंत्री ने कहा कि कितने एस०टी० एवं एस०सी० को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। सूची उपलब्ध कराई जाय। जिले में जनजातियो के पलायन एवं मानव तस्करी या जिले से बाहर मजदूरी करने वाले वाले लोगों की गणना की जाय। मंत्री ने जन्म-मृत्यु दर का तुलनात्मक आकड़ा तैयार करने का निदेश भी दिया। मंत्री ने कहा कि  आदिम जनजाति के लोग खाद्य सुरक्षा से वंचित ना रहें तथा उनकी बीमारी आदि से सुरक्षा होनी चाहिए। जनजातियो की जनसंख्या में कमी का कारण पलायन, बीमारी से मृत्यु तथा दूषित पेयजल का कारण है। बैठक में विधायक श्रीमती गंगोत्री कुजूर, विधायक श्री शिवशंकर उरांव, विधायक दीपक बिरूवा, विधायक निरल पुरती, उपायुक्त अरवा राजकमल, उप विकास आयुक्त श्री आदित रंजन, डी०एफ०ओ सारण्डा, डी०एफ०ओ कोल्हान, आई०टी०डी०ए निदेशक सलन भूईयां, नप उपाध्यक्ष डोमा मिंज, बीस सूत्री उपाध्यक्ष संजय पाण्डे, सांख्यकी पदाधिकारी, अपर आयुक्त श्री जय किशोर प्रसाद, एक्स प्रोफेसर सुनिता टोपनो, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, भूमि सुधार उपसमाहर्त्ता विनय मनीष लकड़ा, सहित अधिवक्ता, बुद्धिजीवी एवं समाजसेवी उपस्थित थे।

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