रांची : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 11वें दिन सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोल कंपनियां रैयतों से कोल बेरिंग एक्ट के तहत जमीन लेती है। यह भारत सरकार का कानून है। राज्य सरकार का नहीं। पूर्व की सरकार ने रैयतों की जमीन वापसी का कानून नहीं बनाया था बल्कि लैंड बैंक में खाली पड़ी जमीन को रखने का निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि रैयतों की जमीन वापसी के मामले पर कोल बेरिंग एक्ट और भूमि अधिग्रहण कानून का विस्तृत अध्ययन कर वैधानिक राय लेने के बाद सरकार निर्णय लेगी।
विधायक ढुल्लू ने उठाया था मामला
विधायक ढुल्लू महतो ने मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में सवाल किया कि बीसीसीएल और ईसीएल सहित अन्य कोल कंपनियों दवारा रैयतों से जमीन तो ली जाती है लेकिन उन्हें मुआवजा और नौकरी नहीं मिलती है। साथ ही जिस जमीन का उपयोग नहीं होता ।वह रैयतों को वापस भी नहीं किया जाता। इतना ही नहीं खनन करने के बाद बिना भराये जमीन को छोड़ दिया जाता है। इसके कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती है।
वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधायक बंधु तिर्की के सवाल के जवाब में कहा कि सरकार ढिबरा चुनने वालों को संरक्षण देगी। इसके लिए सरकार ने नीति निर्धारित कर ली है। इसे अधिसूचित भी कर दिया गया है।उन्होनें कहा कि नई नीति से जहां ढिबरा चुनने वालों को फायदा होगा वहीं कालाबाजारी भी रूकेगी।
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