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प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना बंद करे सरकार : आभा सिन्हा

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प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना बंद करे सरकार : आभा सिन्हा

सिटी पोस्ट लाइव, रांची : प्रदेश महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष आभा सिन्हा ने कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं। जिसका अत्यधिक दोहन किया जाना प्रकृति के नियमों का उल्लंघन है, जिसके परिणाम स्वरूप हमें समय-समय पर प्राकृतिक आपदाओं से जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार उसका दोहन करने पर उतारू है। आने वाली पीढ़ी को केवल प्रदूषण, बिना उर्जा की विकृत धरती एवं पानी विहीन धरातल ही मिल पाएगा। बुधवार को एक बयान जारी कर आभा सिन्हा ने कहा कि झारखंड बनते ही राज्य में ऐसी उद्योग नीति लागू की गयी, जो झारखंड वासियों एवं आदिवासियों के हितों के खिलाफ थी। झारखंड बनने के बाद से ही यहां के प्राकृतिक संसाधनों के लूट का सिलसिला शुरू हो गया था। राज्य गठन के 18 साल बाद भी राज्य पिछड़ा है, जबकि राज्य खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है और राज्य में लौह अयस्क, कॉपर अयस्क, कोयला, मीका, बॉक्साइट, अग्नि मिट्टी, ग्रेफाइट, केनाइट, सिलीमानाइट, नींबू पत्थर, यूरेनियम और अन्य खनिजों का भण्डार है। राज्य में सबसे ज्यादा भाजपा का शासन रहा और वर्तमान में भाजपा का ही शासन है। फिर भी राज्य देश में पिछड़ा है। हमारे झारखण्ड को प्रकृति ने सजाया है तथा प्रकृति ने अपनी सारी नेमतें प्रदान की हैं। यहां प्राकृतिक संपदा भरपूर है, यहां से निकलने वाले खनिज पदार्थ विश्व में सर्वश्रेष्ठ और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं। यदि इसका नियमानुसार दोहन किया जाए, तो न सिर्फ देश तरक्की कर सकता है, बल्कि स्थानीय आदिवासी समुदाय का जीवन भी समृद्ध हो सकता है। पर यहां की खनिज सम्पदाओं की लूट में नेतागण अस्त-व्यस्त हैं। आदिवासियों की पहचान जल, जंगल और जमीन से जरूर है, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण उन्हें इन दिनों अपने मूल स्थान से विस्थापित होना पड़ रहा है। हालांकि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं, लेकिन अफसोस कि उनकी पहल कामयाब नहीं हो रही। झारखण्ड गठन होने के बाद से राज्य में राजनीतिक उठापटक के अतिरिक्त कुछ भी नहीं बदला है। सरकारी मशीनरी ने यहां की खनिज संपदा का जमकर दोहन किया और अब झारखंड की भूमि पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की गिद्ध दृष्टि है। दरअसल, वे पावर प्लांट और स्टील प्लांट के नाम पर जमीन हथियाना चाहती हैं, लेकिन स्थानीय आदिवासी इसका लगातार विरोध कर रहे हैं और कांग्रेस पार्टी उनके कदम से कदम मिलाकर आन्दोलन करती रहेगी।

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