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जान खतरे में हो तो पुलिस को फोन करना एक बड़ी भूल है, क्यों पढ़िए एक रिपोर्ट

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सिटी पोस्ट लाइव : अगर आपकी जान आफत में है ,गुंडों ने  आपके घर ,दफ्तर या फिर क्लिनिक पर हमला बोल दिया है तो पुलिस  को खासतौर पर थानेदार को सीधे फोन लगाने की कोशिश भूल  भी न करें. थानेदार आपकी मदद के लिए आयेगा  या नहीं  पता नहीं.लेकिन उसका मूड खराब हो गया तो आपकी माँ-बहन एक जरुर  कर देगा.अगर सिटी पोस्ट लाइव की यह सलाह आपको अटपटा लग रहा है तो खुद एक मामले पर गौर फरमा  लीजिये . मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना क्षेत्र शांति नुर्सिंह होम में एक मरीज के परिजनों ने हंगामा कर दिया .नर्सिंग  होम के मालिक और  कर्मचारियों की पिटाई शुरू हो गई.एक कर्मचारी ने अहियापुर के थानेदार धनञ्जय कुमार को फोन मिलाया . नर्सिंग होम में हंगामे और मारपीट की सूचना दी. एक पुलिस अधिकारी अकेला चला आया.लेकिन वह भी हॉस्पिटल  के अन्दर जाने से यह कहकर मना  कर दिया कि मारपीट करनेवाले 8-10 लोग हैं, जबतक फ़ोर्स नहीं आयेगी ,वह अन्दर नहीं जाएगा .

आधे घंटे तक नर्सिंग होम में मारपीट और गुंडागर्दी होती रही. फिर एक कर्मचारी ने थानेदार को फोन मिलाया. पुलिस कुछ नहीं कर रही है,इसको लेकर वह थोडा गुस्से में था. थानेदार से बोल दिया सर आधे घंटे से फोन कर रहा हूँ, आप आ नहीं रहे हैं. डॉक्टर की जान खतरे में है. उन्हें ये गुंडे मार देगें. फिर क्या था थानेदार भड़क गया. फिर उसने जो गाली देना शुरू किया तो दस मिनट तक गाली देता ही रहा. इतनी भद्दी भद्दी गालियाँ दी,जिसे हम बता नहीं सकते ,ठीक से लिख और सुना भी नहीं सकते .थानेदार नहीं आया .डॉक्टर मणिभूषण को बुरी तरह पिटा गया. अभी वह आईसीयू में जीवन मौत के बीच झूल रहा है. लेकिन जब बात थानेदार के खिलाफ कारवाई की हुई तो एस साहिबा ने कह दिया कि थानेदार को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है. डॉक्टर के साथ मारपीट करने के सभी 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

एक थानेदार ने अपनी ड्यूटी नहीं निभाई , भद्दी भद्दी गालियां दी  अस्पताल कर्मचारी को  लेकिन उसके खिलाफ कारवाई क्या हुई , उसे कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया. यानी वह गाली देने और पीड़ित की जान नहीं बचाने के  कारण देकर कारवाई से बच सकता है . वाह रे कानून, वाह री पुलिस और वाह रे सजा . एक पुलिस  वाला गंभीर से गंभीर अपराध करे तो यह उसकी यह एक छोटी सी भूल है. अगर आम आदमी एक छोटी सी भूल करे तो एक बड़ा अपराध है .अब तो आप समझ गए होगें क्यों जान आफत में हो तो पुलिस को फोन नहीं करना चाहिए ? थानेदार ने कैसे अपनी ड्यूटी निभाने से इंकार किया और कितनी भादी गालियाँ दी ,आप उसका रिकार्डेड ऑडियो सून लीजिये. यह ऑडियो थानेदार का है, ये दावा हम नहीं करते, हॉस्पिटल के उस कर्मचारी का दावा है कि ये ऑडियो थानेदार की है.अगर आप एकबार इसे सून लेगें तो गलती से भी कभी थाने  जाने या किसी थानेदार को फोन करने की भूल नहीं करेगें .

मुजफ्फरपुर से अंजलि श्रीवस्तव की रिपोर्ट

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