सिटी पोस्ट लाइव :बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बिहार के नियोजित शिक्षकों को बड़ा चुनावी तोहफा देने की तैयारी कर चुके हैं.15 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ‘नियोजित शिक्षक’ (Contract teacher) शब्द हटाने के साथ साथ शिक्षकों की कई लंबित मांगे भी पूरी करने का ऐलान करनेवाले हैं.सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने ‘नियोजित शिक्षक’ शब्द हटाने का फैसला लिया है. सरकार शिक्षकों के लिए बनी सेवा शर्त को लागू करने की भी घोषणा करने जा रही है. सूत्रों के अनुसार 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के मौके पर सरकार शिक्षकों को सेवा शर्त का सरकार तोहफा देगी.
सेवा शर्त लागू होते ही राज्य के पौने चार लाख प्रारम्भिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्कूल के शिक्षक राज्यभर में कहीं भी ऐच्छिक स्थानांतरण करवा सकेंगे. साथ ही सरकार शिक्षकों को ईपीएफ और प्रोन्नति का भी लाभ पहली बार देने जा रही है. शिक्षा विभाग की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है.अनुकम्पा के इंतजार में बैठे आश्रितों को भी सरकार बड़ा लाभ देने जा रही है. इसके तहत जो भी टीईटी, बीएड ट्रेंड अभ्यर्थी होंगे उन्हें शिक्षक की नौकरी मिलेगी जबकि अनट्रेंड अभ्यर्थियों को डिग्री के आधार पर क्लर्क और फोर्थ ग्रेड कर्मचारी में बहाली ली जाएगी.
गौरतलब है कि वर्षों से नियोजित शिक्षक समान वेतनमान समेत सेवा शर्त की मांग करते आ रहे हैं. लेकिन समान वेतनमान मामले में पहले ही सरकार ने बजट का हवाला देते हुए हाथ खड़ा कर दिया था. सेवा शर्त देने के लिए सरकार ने हड़ताल के दौरान शिक्षक संघ के साथ हुई वार्ता में भरोसा दिया था कि लाभ मिलेगा. अब चुनाव नजदीक है ऐसे में कहा जा रहा है कि शिक्षकों के बड़े वोट बैंक को देखते हुए नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लेने का मन बना लिया है.सरकार भले ही नियमित शिक्षकों की तर्ज पर कई तोहफा देने जा रही है, लेकिन शिक्षक संघ के नेता इससे संतुष्ट नहीं हैं.शिक्षक संघ अब भी सरकार पर नियोजित शिक्षकों को लॉलीपॉप देने का आरोप लगा रहे हैं. शिक्षक नेताओं ने चुनाव से पहले समान वेतनमान, सहायक शिक्षक का दर्जा और सम्मानजनक वेतन वृद्धि देने की मांग की है. इन्होंने ये भी कहा है कि नाम बदलने से शिक्षकों को कोई फायदा नहीं मिलने वाला, ये सब सिर्फ ढकोसला है.
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