सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों को बीजेपी का साथ, बढ़ गई है नीतीश कु. की चुनौती
नवादा सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों के परिवार से मिलने के दौरान रो पड़े केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस या तो गलत है या फिर बिहार के बीजेपी के नेता अपने राजनीतिक फायदे के लिए अपराधिक मामलों के आरोपियों के साथ खड़े हो गए हैं. जिस तरह से बीजेपी के फायरब्रांड नेता, केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में नवादा जेल में बंद आरोपियों से मिलने जेल पहुंचे और फिर उनके घर पहुंचकर उनकी हालत देख रो पड़े ,उसे देखकर तो यहीं लगता है कि नीतीश सरकार की पुलिस या तो अपने को सेक्यूलर साबित करने के लिए हिन्दुओं के साथ अन्याय कर रही है. उन्हें झूठे मुकदमों में जेल भेंज रही हैं. या फिर बीजेपी के नेता मंत्री सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों के साथ खड़े होकर, उनके साथ हमदर्दी दिखाकर ये साबित करने में लगे हैं कि नीतीश सरकार बहुसंख्यक हिन्दुओं को वगैर किसी वाजिब कारण के जेल भेंज कर अपने सेक्यूलर क्रेडेंशियल बढाने की कोशिश कर रही है.
बिहार के नवादा से बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को जेल में बंद हिंसा के आरोपियों के परिवार वालों से मुलाकात की. इस दौरान गिरिराज सिंह काफी भावुक दिखे और रो पड़े. उन्होंने नवादा में बजरंग दल एवं विहिप के गिरफ्तार कार्यकर्ताओं के परिजनों से मुलाकात के बाद प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाला.उन्होंने कहा कि जिसने शांति बहाल करने में अहम भूमिका निभाई उसे ही पूरे झूठे मामलों में फंसाया गया. पीड़ित परिवार से मिलने के दौरान गिरिराज ने हिंदू संगठन के नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन पर हमला बोला . गिरिराज ने कहा कि जिन लोगों ने पोस्टर फाड़े, हिंसा की उनको छोड़ दिया गया.पुलिस ने इस कार्रवाई से लोगों को उकसाने का काम किया है. शासन-प्रशासन को लगता है कि बहुसंख्यकों को दबाने से सामाजिक सद्भाव कायम होगा. केंद्रीय मंत्री ने दंगा भड़काने के आरोप में जेल गए बजरंग दल के संयोजक जितेंद्र प्रताप जीतू के परिजनों से मुलाकात की.इसके पहले मंत्री जेल में बंद आरोपियों से भी जेल जाकर मिल चुके थे.
जाहिर है नीतीश कुमार की चुनौती आनेवाले दिनों में बढनेवाली है,खासतौर पर सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने को लेकर .पिछले दिनों जिस तरह से भागलपुर, नवादा और औरंगाबाद समेत कई जगहों पर सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे के भाव को तहस नहस करने की कोशिश के तहत हिंसा की घटनाएं हुई हैं, और उसके दोषियों के साथ जिस तरह से बीजेपी के नेता हमदर्दी जता रहे हैं, आनेवाला रामनवमी सरकार के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण हो सकता है.राजनीति हिन्दू या फिर मुस्लिम विरोध पर केन्द्रित हो जाए तो ,सम्जः लेना चाहिए कि खतरा बड़ा है.
हालांकि आज दिल्ली में एनडीए के साथ बने रहने की बात करने के साथ साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ये कहना भी नहीं भूले कि साम्प्रदायिकता के साथ वो कोई समझौता नहीं करनेवाले हैं. दरअसल, नीतीश कुमार को भी लग रहा है कि राज्य में सांप्रदायिक दंगे भड़का कर उनके सेक्यूलर क्रेडेंशियल को ख़त्म कर देने की कोशिश हो रही है .नीतीश कुमार यहाँ तक कह चुके हैं कि उन्हें मिटा देने की कोशिश हो रही है. उनका ईशारा अपने सेक्यूलर क्रेडेंशियल को ही मिटा देने को लेकर चल रही शाजिष की तरफ ही था .और जिस तरह से वो लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि साम्प्रदायिकता के साथ समझौता नहीं करेगें, यहीं साबित करता है कि ऐसा डर उन्हें सता रहा है.
दिल्ली में जेडीयू कार्यकारणी की बैठक में गिरिराज सिंह द्वारा नवादा में हिंसा के आरोपियों से मिलकर उनके बचाव में जारी किये बयान पर भी चर्चा हुई. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि इससे समाज में तनाव फैलेगा. गलत सन्देश जाएगा.केसी त्यागी ने कहा कि हजारीबाग में जिस तरह से मोब लीचिंग के आरोपियों का केन्द्रीय मंत्री जयंत सिन्हा द्वारा स्वागत किया गया और नवादा में केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा आरोपियों के पक्ष में और पुलिस के खिलाफ बयान दिया गया ,चिंता की बात है.केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी सूरत में अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं करेगी . जेडीयू ने ये भी साफ़ कर दिया कि बिहार में चाहे कोई भी चुनाव हो चेहरा नीतीश कुमार ही होगें.जेडीयू ने कांग्रेस के साथ जाने की संभावनाओं को भी खारिज नहीं करके बीजेपी को चेता दिया कि उसके पास एक यह आप्शन भी है.
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