10 हजार शिक्षकों को राज्य स्थापना दिवस पर सौंपेंगे नियुक्ति पत्र : मुख्यमंत्री
सिटी पोस्ट लाइव, कोडरमा : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि बाल श्रम का उन्मूलन हो, यह हमेशा से उनका लक्ष्य रहा है। दास ने आज कोडरमा में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन द्वारा आयोजित अभ्रक क्षेत्रों को बाल श्रम मुक्त बनाने की पहल बनाने के प्रयास कार्यक्रम में कहा कि जब उन्हें राज्य के श्रम मंत्री के रूप में मुझे कार्य करने का अवसर मिला तो उन्होंने खुद कई जगह छापेमारी कर बाल श्रमिकों को मुक्त कराया था। बाल श्रम उन्मूलन के लिए राज्य सरकार ने कानून बनाया है, इस दिशा में कार्य भी होते हैं। लेकिन बाल श्रम का सबसे बड़ा कारण गरीबी है। गरीबी के उन्मूलन साथ ही बाल श्रम का भी उन्मूलन हो जाएगा। यही वजह है कि राज्य सरकार गरीबी दूर करने के लिए प्रयासरत है और काफी हद तक इसमें हमें सफलता भी प्राप्त हो रही है। हम गरीबी उन्मूलन के संकल्प के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। हम ऐसा राज्य चाहते हैं जहां कोई बच्चा अशिक्षित ना रहे। हर बच्चे को पोषाहार मिले। उन्होंने कहा कि 10 हजार शिक्षकों का चयन किया गया है, जिन्हें 15 नवंबर को नियुक्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। दास ने कहा कि बाल श्रम और मानव तस्करी तभी रुकेगी जब समाज भी संवेदनशील होकर प्रयास करे। जनजातीय क्षेत्र में यह समस्या अधिक है इसलिए सरकार का ध्यान इन क्षेत्रों में अधिक है। उन्होंने कहा कि कैलाश सत्यार्थी जी आप पूरे राज्य में बाल पंचायत समिति का गठन करें। राज्य सरकार आपके साथ है। बाल श्रम में रोक लगे यह हमारी भी मंशा है। सरकार बाल मित्र संयोजकों को 500 रुपये प्रोत्साहन के तौर पर देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की बच्चियों को रोजगार दिलाने के नाम पर प्लेसमेंट एजेंसी के लोग उनका मानसिक और शारीरिक शोषण करते हैं। यह सब उन्हें राज्य से बाहर ले जाकर किया जा रहा है। इन कार्यों पर रोक लगे उस के लिए पार्लियामेंट में बिल पेश हो चुका है। उन्होंने राज्य के श्रम विभाग को निदेश दिया कि ऐसे सेल का गठन करें जो राज्य से बाहर हेतु श्रमिकों को ले जा रही एजेंसी का पूरा विवरण दर्ज कर सके। बाल मजदूरी और बच्चे काम के लिए पलायन के कलंक को झारखण्ड मिटा कर रहेगा। दास ने कहा कि हर बच्चे की उनका संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो, इस दिशा में सरकार कार्य कर रही है। अभिभावक भी इस बात का ख्याल रखें कि बेटा या बेटी दोनों को समान दृष्टि से देखें। बेटी को जरूर पढ़ाये। प्रधानमंत्री ने नारा दिया है बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं…राज्य सरकार ने इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए नारा दिया…पहले पढ़ाई फिर विदाई। क्योंकि जितना अधिक बेटी पढ़ेगी देश उतना ही विकास करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्व त्योहार व अन्य दिनों हम नारी शक्ति की पूजा करते हैं, उनके में शीश नवाते हैं। इसलिए नारी सशक्तिकरण बेहद जरूरी है। सृष्टि की जननी का सम्मान सभी को करना चाहिए। बेटी ही या बेटा दोनों ही हमारा धन हैं। अगर एक बेटी पढ़ती है तो उसमें दो परिवारों में संस्कार का संचार करने की काबिलियत होती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के युवाओं और युवतियों को सरकार हुनरमंद बनाना चाहती है। कौशल विकास के माध्यम से यह कार्य सुनिश्चित किया जा रहा है। 12 जनवरी तक सरकार 1 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करेगी। 34 हजार को पूर्व में रोजगार से आच्छादित किया जा चुका है। राज्य गठन के उपरांत 14 साल में 38 हजार स्कूलों में से मात्र 7 हजार में बेंच डेस्क की व्यवस्था थी। वर्तमान सरकार ने पूरे 38 हजार स्कूलों में बेंच डेस्क की व्यवस्था कर दी है। सभी स्कूलों को बिजली से आच्छादित किया गया है।
नॉबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने इस अवसर पर कहा कि झारखण्ड को एक ऐसा मुख्यमंत्री प्राप्त हुआ है जो बाल श्रम उन्मूलन को लेकर काफी गंभीर हैं। इनकी कार्यप्रणाली से एक दिन ऐसा आएगा जब झारखंड बाल श्रम से मुक्त होगा। मुख्यमंत्री जी की इस संवेदना उनकी भावना को मेरा नमन। भगवान बिरसा की भूमि पर आकर गौरवान्वित हूं। अपने नोबेल शांति पुरस्कार के बाद पहली बार कोडरमा आया हूं, कोडरमा की मिट्टी कीचड़ में मैंने समय बिताया है, उसकी ताकत थी जो नोबेल पुरस्कार के मेडल रूप में लौटी है । यह सोने का मेडल आपका है, पूरे झारखंड का है। सत्यार्थी ने कहा कि जब तक गांव के बच्चे को शिक्षा आजादी से आगे पढ़ने वह पेट भर जीवन जीने का अधिकार नहीं मिल जाता तब तक हमारा यह संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि कोडरमा में माईका का उत्पादन हो यह हम भी चाहते हैं लेकिन इसमें शामिल बाल मजदूरी को समाप्त करना होगा। उत्पादन प्रभावित करना हमारी मंशा नहीं है लेकिन अपराध और गैरकानूनी काम ना हो यह सुनिश्चित होना चाहिए। कोडरमा के 126 गांव में बालमित्र गांव का निर्माण हुआ है, जहां बाल मजदूरी नहीं होती है। बाल विवाह नहीं होता है। क्योंकि इसको मिटाने का संकल्प खुद बच्चे और युवाओं ने ले रखा है। सब बच्चे स्कूल जाएंगे, सब पढ़ेंगे, सब बढ़ेंगे यही हमारा उद्देश्य है। सत्यार्थी ने बताया कि बाल पंचायत का परिणाम है कि जिन इलाकों में लड़कियां स्कूल नहीं जाती थीं, उन इलाकों में 500 से अधिक लड़कियों ने पंचायत चुनाव में भाग लिया 600 से अधिक बच्चियों ने बाल विवाह से इनकार किया। यह संभव हुआ बेटियों के अन्याय के को अस्वीकार करने से। बिरसा मुंडा की इस पावन भूमि ने उन्हें ताकत प्रदान की। हम सबको मिलकर संकल्प लेना है अगर विकास करना है तो हमें सहभागिता बनानी है, हमें समन्वय करना है और यह तय करना है कि कोई बाल मजदूरी ना हो। यह सहयोग से ही संभव है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा सुमेधा सत्यार्थी, राज्य के शिक्षा मंत्री नीरा यादव, एनसीपीसीआर के प्रियांक कानूनगो, बरकट्ठा के विधायक जानकी प्रसाद यादव, बरही के विधायक मनोज यादव, श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के सचिव राजीव अरुण एक्का, श्रम आयुक्त विप्रा भाल, अध्यक्ष बाल संरक्षण आयोग आरती कुजूर, आयुक्त उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल सुरेंद्र कुमार सिंह, जिला परिषद की अध्यक्षा शालिनी गुप्ता, नगर पंचायत की अध्यक्षा कांति देवी, पी नागरो मालाथी, गुरुतारोण हक, कोडरमा के उपायुक्त, एसपी तथा बहुत बड़ी संख्या में बाल पंचायत के बच्चे उपस्थित थे।
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