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एम्बुलेंस के बाद अब बिहार सरकार ने तय किया CT-Scan के रेट.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार  (Bihar) में कोरोना (COVID-19) के बढ़ते संक्रमण का फायदा अस्पताल बेशर्मी के साथ उठा रहे हैं.ऑक्सीजन सिलेंडर हो या फिर दवाइयाँ या फिर एम्बुलेंस मनमानी कीमत वसूल रहे हैं.अब सरकार ने एम्बुलेंस और ईलाज की तरह ही सीटी-स्कैन की चार्ज तय कर दिया है. अब 2,500 रुपये (एकल स्लाइस सीटी मशीन) और 3,000 रुपये (मल्टी स्लाइस सीटी मशीन) की दर से मरीजों को भुगतान करना होगा. सरकार ने अपने निर्देश में साफ तौर पर कहा है कि मरीजों से तय दर से ज्यादा राशि लेने पर नियमों के अनुरूप सख्त कार्रवाई भी की जा सकती है.

बिहार में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में कमी दर्ज की गई है. एक दिन में 13466 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है. इस अवधि के दौरान 62 लोगों की मौत हुई है. सबसे ज्यादा 2410 मरीज पटना जिले में मिले हैं, जबकि बेगूसराय में 488, भागलपुर में 512, गया में 517, मुजफ्फरपुर में 630, नालन्दा में 548, मुंगेर में 603, वैशाली में 509, वेस्ट चम्पारण में 537, सीवान में 425, सारण में 509, पूर्णिया 459 और समस्तीपुर में 378 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई है. बिहार में अब एक्टिव केस की संख्या बढ़कर 1,15,066  तक पहुंच गई है, जबकि पटना जिले में यह संख्या 22330 है.

कोरोना  के दौरान रोजगार मुहैया कराना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. इसी को देखते हुए गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले मजदूरों को मनरेगा के तहत और रोजगार कैसे मिले, इस पर चर्चा हुई. रोजगार के साथ-साथ गरीब असहाय और बेघर लोगों को लॉकडाउन के दौरान दो वक्त का खाना मिले इसके लिए पूरे बिहार में चलाए जा रहे कम्युनिटी किचन की जानकारी भी बैठक में सीएम नीतीश कुमार ने ली.

ग्रामीण विकास विभाग और आपदा विभाग से संबंधित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के  माध्यम से हुई बैठक में सीएम नीतीश कुमार ने कई निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने  कहा कि लॉकडाउन के दौरान इच्छुक सभी लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए तत्परता से काम करें. सब को रोजगार मिले यह सुनिश्चित हो. बिहार में कोई मजदूर काम से वंचित न रहे. ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में भी गरीब लोगों को काम मिलना चाहिए. श्रमिकों का पारिश्रमिक समय से मिले यह भी  सुनिश्चित किया जाए.

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