सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना की माहमारी से देश भर में त्राहिमाम मचा हुआ है.आज सबसे ज्यदा कमी डॉक्टरों की है.बिहार सरकार हजारों डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मी बहाल कर रही है.लेकिन जब इन डॉक्टरों में सेवाभाव ही नहीं होगा तो क्या होगा? पटना के 23 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए चयनित 52 डॉक्टरों में से 42 डॉक्टरों ने अबतक योगदान नहीं दिया है. दरअसल ये मनचाही पोस्टिंग के लिए राज्यस्तर पर चल रही विभिन्न स्थायी बहाली का इंतजार कर रहे हैं. उनके योगदान नहीं देने से राजधानी में चल रहे सभी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का कार्य बाधित हो रहा है.यूपीएचसी में डॉक्टरों की कमी बरकरार है.
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत शहर के 23 यूपीएचसी के लिए 26 फुल टाइम और 26 पार्ट टाइम डॉक्टरों का चयन किया गया था.इन सभी को जिले में 10 जुलाई तक योगदान देना था. लेकिन, इनमें से मात्र 10 डॉक्टरों ने ही जिले में योगदान दिया, जिनमें 8 पार्ट टाइम और 2 फुल टाइम डॉक्टर शामिल हैं. हालांकि, जिन्होंने योगदान दे दिया, उन्हें अबतक यूपीएचसी का प्रभार नहीं मिला है. पटना के 23 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए चयनित 52 पार्ट टाइम और फुल टाइम डॉक्टरों में से 10 की नियुक्ति 11 माह के लिए संविदा के आधार पर की गई है.
डॉक्टरों के काम के आधार पर राज्यस्तर से संविदा अवधि का विस्तार किया जा सकता है. जिला स्वास्थ्य समिति, पटना से मिली जानकारी के अनुसार जो डॉक्टर ज्वाइन करने आए थे, उनका भी यही कहना था कि स्थायी बहाली होते ही यूपीएचसी का वे प्रभार छोड़ देंगे. फुल टाइम डॉक्टरों को प्रतिमाह 60 हजार और पार्ट टाइम डॉक्टरों को प्रतिमाह 34 हजार रुपए मानदेय मिलेगा.
राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार के उप सचिव-सह-प्रभारी, मानव संसाधन राजेश कुमार ने कहा कि यूपीएचसी के लिए सभी डॉक्टरों का चयन उनके मेरिट और पसंद के आधार पर ही हुआ है. हालांकि, इसमें उनका गृह जिला शामिल नहीं है. ऐसे में जिन डॉक्टरों ने अबतक योगदान नहीं दिया है, उन्हें राज्यस्तर से 14 दिन का और समय मिलेगा. इसके बावजूद अगर वे ज्वाइन नहीं करेंगे, तो वेटिंग लिस्ट वाले डॉक्टरों को उनके बदले मौका दिया जाएगा.
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