सर्वोत्तम शासन है प्रजातांत्रिक व्यवस्था : डॉ. जितेन्द्र नारायण
लोक सेवकों के कार्यों पर रहता है दबाव : प्राण मोहन
#citypostlive. दरभंगा : राजनीतिक चिंतक प्रो. जितेन्द्र नारायण ने आज यहां कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था विश्व की सर्वोत्तम शासन पद्धति मानी गई है पर भ्रष्टाचार रूपी छुआछूत की बीमारी इसे निगलने को आतुर है। सिर्फ पैसों के लेनदेन को ही भ्रष्टाचार की संज्ञा नहीं दी गई है। भ्रष्टाचार का सीधा अर्थ है, वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। स्रातकोत्तर राजनीतिशास्त्र विभाग और स्वयंसेवी संस्थान डॉ. प्रभात दास फाउंडेशन की ओर से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो. नारायण ने कहा कि वस्तुत: भ्रष्ट लोगों को राज्य में रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार ऐसा घुन है, जो पूरी व्यवस्था को खा जाता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व आयुक्त प्राण मोहन ठाकुर ने कहा कि समाज का नैतिक मापदंड पूर्णत: ध्वस्त हो चुका है। हर व्यक्ति स्वार्थ लिप्त होकर अपनी उन्नति का मार्ग ढूंढ़ने में लगा हुआ है। लोकसेवक अपने मन से एक भी योजना की स्वीकृति नहीं दे सकते है। अधिकारियों की भूमिका बदल गई है। कलेक्टर का कार्य सांसद महोदय कर रहे है तो एसडीओ का कार्य विधायक देख रहे हैं। पहले नोटबुक लिखना, ट्यूशन पढ़ाना आदि को घृणित कार्य समझा जाता था पर आज इसने व्यवसाय का रूप ले लिया है। समाज से नैतिकता गायब हो रही है, जिसके कारण चहुंओर समस्या ही समस्या दिख रही है। इसलिए सामाजिक मापदंडों का पुन: मूल्यांकन आवश्यक है। सेमिनार के मुख्य अतिथि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. सीपी. सिंह ने कहा कि विकास होगा, तो भ्रष्टाचार होगा, यह समस्या विश्व के हर देश में विद्यमान है। संकायाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार झा ने कहा कि जब समाजिक व्यवस्था गिरती है, तो उसका असर हर तरफ दिखता है। इसलिए हमें निजी स्वार्थ को छोड़ना होगा और बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय की भावना विस्तृत करनी होगी। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. रविन्द्र कुमार चौधरी ने विस्तृत से लोकतंत्र में लोकसेवकों की भूमिका को रेखांकित करते हुए भ्रष्टाचार से निजात पाने के उपायों को प्रस्तुत किया। सेमिनार का संचालन फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने किया। सेमिनार में अंग्रेजी विभागाध्यक्षा डॉ. अरूणिमा सिन्हा, डॉ. पुनिता झा, डॉ. प्रतिभा गुप्ता, हिंदी विभाग के उमेश शर्मा, शोधार्थी सुशील कुमार सुमन, सुनीता कुमारी, सोनी झा, मिथिलेश पासवान, श्याम कुमार, रामबाबू चैपाल, फाउण्डेशन के अनिल कुमार सिंह, मनीष आनंद, नवीन झा आदि उपस्थित थे।
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