लॉक डाउन में भी लग रही है RSS की शाखा, लेकिन नहीं हो रहा कानून का उल्लंघन
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना को लेकर चल रहे लॉक डाउन के वावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने (RSS) अपनी शाखा लगाना बंद नहीं किया है.लॉक डाउन की वजह से शाखा लगाने का तरीका तो बदल गया है लेकिन मकसद पुराना ही है. लॉक डाउन में आरएसएस कुटुंब शाखा लगा रही है. आरएसएस की ये कुटुंब शाखा घर घर में लगाईं जा रही है. इस शाखा में एक ही परिवार के लोग शामिल होते हैं. कोरोना बंदी में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखना है, इसलिए आरएसएस के कार्यकर्ता अपने घर पर ही शाखा लगाने लगे हैं. इस शाखा में उनके परिवार के तमाम लोग शामिल होते हैं. स्वयंसेवक संघ से ताल्लुक रखने वाले व्यक्ति अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों के साथ कुटुंब शाखा लगा रहा हैं.
प्रक्रिया बिल्कुल संघ की शाखा जैसी ही है. हालांकि संघ की तरफ से इसमें कुछ आजादी दी गई है. इसमें झंडा लगाना अनिवार्य नहीं है. ड्रेस पहनना अनिवार्य नहीं है. साथ ही इसमें महिलाएं भी शामिल हो सकती हैं.आरएसएस ने बिहार-झारखंड को तीन भागों में बांटा हुआ है. पहला दक्षिण बिहार, दूसरा उत्तर बिहार और तीसरा झारखंड. दक्षिण बिहार में कुल 315 शाखाएं हैं, जिसमें 991 कुटुम्ब शाखा लग रही है. उत्तर बिहार 578 शाखाएं हैं, जिसमें 1200 कुटुम्ब शाखाएं लग रही हैं. वही झारखंड में 313 शाखाएं हैं, जिसमे 915 कुटुम्ब शाखाएं लग रही हैं. पूरे भारत में 60 हजार शाखाएं और 22 हजार मिलन मण्डली है. इस शाखा में राष्ट्र सेविका समिति के सदस्य भी शामिल हैं जो महिलाओं का अलग विंग है. वो भी अपने परिवार के साथ कुटुम्ब शाखा लगा रही है.
कोरोना बंदी के दौरान आरएसएस अपनी सेवा के काम को भी काफी हद तक पूरा कर रही कर रही है. इस दौरान स्वयंसेवक संघ के सदस्य आपस में सहयोग चन्दा करके बेसहारा और लाचार लोगों की मदद कर रहे हैं. घर-घर तक आरएसएस के सदस्य राशन पहुंचा रहे हैं. जरूरत पड़ने पर उन्हें स्वास्थ्य सुविधा भी दे रहे हैं. आरएसएस के बिहार-झारखंड क्षेत्र कार्यवाह डॉक्टर मोहन सिंह ने बताया कि आरएसएस अपने सभी कामों को सोशल डिस्टेंसिंग के तहत कर रही है.स्वयंसेवक संघ के 100 साल के इतिहास में पहली दफा इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है. यह प्रयोग धीरे-धीरे हर आरएसएस का सदस्य अपना रहा है. लगातार कुटुंब शाखाओं की संख्या बढ़ती जा रही है.
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