डब्बू अभी पढ कर उठा ही था और तभी उसके मामाजी आ धमके।सवाल की महफिल में डब्बू ने कोई जवाब न दिया।सबकुछ जानते हुए वह उत्तर न दे पाया।वह अपने लाल गाल पर दो थप्पड़ खाने के बाद यही सोच रहा । इतनी मेहनत से पढा और सबकुछ भूल बैठा। यही हाल लालवानी जी के बेटे का भी है ,एग्जाम शुरू होने के एक सप्ताह पहले से उसका पेट बार बार खराब हो रहा।शीतल इस साल अठारह साल की हो गयी है ।दिल्ली में पढाई को पापा भेजना चाह रहे,यह सब जान सुनकर उनके हाथ पांव फूल रहे।राजाबाबू अकेला की उम्र कोई 26 साल है,उनको पहली बार ससुराल जाने के नाम पर बदन दर्द हो रहा। 29 वर्ष की कोयल को अभी – अभी इटावा में बैंक की नौकरी लगी। वह भी वहाँ जाने से कतरा रही।
यह कुछ ऐसे लोग है जो सामान्य तनाव के शिकार हैं। दरअसल दिखने मे रोजमर्रा के ये स्ट्रेस व्यक्ति के जीवन मे खलल पैदा कर देता है।हम सब दैनिक जीवन मे नौकरी, रिश्ते, स्वास्थ्य को भरपूर तरीके से मैनेज करने की कोशिश करते है परंतु दैनिक तनाव की अनदेखी।
क्या है यह तनाव-
जब आप के मन के विपरीत कुछ भी होता है, वह सब तनाव का रूप है। यह दो तरीके से प्रभावित करता है ।पहली बात की यह सकारात्मक रूप से निरंतर आपके जीवन मे काबिज हो तो नित्य नयी सफलता दिलाता है।जैसे आपको कही नई नौकरी मिली हो और आप वहा खुद को समायोजित कर लेते है और अपना जबरदस्त परफॉर्मेंस देने लगते है वही दुसरी ओंर वह स्टेज है जहां वह नकारात्मक रूप से आपको घेरता है और आप डिस्ट्रेस के शिकार होने लगते है। यह नकारात्मक तनाव आपके जीवन में उत्पादन को कम करने लगता है।
डिस्ट्रेस की पहचान-
यह तनाव आपमें एक गलत धारणा बना देता हैं कि आप एक अनपेक्षित, अनुपयोगी व्यक्ति है और जो वास्तविक रूप से आपके जीवन मे नहीं है उसपर भी आपके विश्वास को दिन-दूनी, रात-चौगनी करता जाता है। जैसे सौरभ को उसकी मैम ने क्लास में कहा था कि वह 9वीं में फेल कर जायेगा और वह अब सच मे मान लेता है कि वह नकारा है या जरुर उस काबिल होगा।धीरे धीरे उसका यह विश्वास गहरा हो जाता है और पढाई से उसका नाता टूट जाता है।
तनाव के कुछ लक्षण-
रातो की नींद गायब,भूख-प्यास मे कमी या बेतहाशा वृद्धि, आक्रामकता, बैचैन मन,अनिश्चित व्यवहार का होना,अपने आप को तीसमार खा समझना,बङो की इज्जत नही करना,बेबाक राय,एकपक्षीय सुनना ,बात बे बात अपनी बात पर अङना।अश्लील होना तथा ज्यादातर मामलों मे अपने आप के सम्मान मे घोर अनदेखी करना।
तनाव से कैसे बचें-
1-दैनिक जीवन में व्यर्थ की बहस न करें।
2-परिवार में किसी भी परिस्थिति मे संवाद बंद न होने दे,जरूरत हो तो काउंसलर की मदद लें।
3-बच्चो से घुले-मिले,उनको एकटक निहारें।
4-पटना में प्रचलित एक विधि बाल्टी में पानी भर मुंह से फूके व बबलस निकाले या खूब चिल्लाइये।
5- अपनी खुशियाँ बांटिए।
6-एकटक खूबसूरत फूलो को निहारें उनको सूघें।
7-व्यायाम करिए,घुमने जाये,बगीचे की सैर।लंबा चलिए।
8-कोई भी काम बिना आकांक्षा के करिए।
9-गाना सुने,रेडियो की शरण लिजिए,खूब खेलिए लेकिन थकने से पहले चले आइये।
10-कभी भी तनाव मे निर्णय न ले और अपने व्यवहार मे लचीलापन रखे।
(लेखक डा.मनोज कुमार ,पटना मे काउंसलिंग साइकोलाजिस्ट है। इनका संपर्क नं- 7979093123
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