मोना झा .
सिटीपोस्टलाईव: गांधी मैदान के आसपास फूटपाथ पर सजी पुरानी किताबों की बाज़ार छात्रों को बेहद पसंद हैं. जो किताबें दुकानों में और पुस्तकालयों में नहीं मिलेगीं ,यहाँ आपको आसानी से मिल जायेगीं. इन फूटपाथों पर हर रोज हजारों लोग ,ज्यादातर छात्र दुर्लभ और सस्ती किताबों की खोज में आते हैं.आज रामनरेश शर्मा जी भी यहाँ आये हैं और अबतक सैकड़ों किताबें चुन चुके हैं.जब सिटीपोस्टलाईव की टीम उनसे पूछा क्या करेगें इतनी पुरानी किताबें तो उनका जबाब है-“ मैं अपने गावं में एक पुस्तकालय की स्थापना कर रहा हूँ.नयी किताबें खरीदने में बहुत ज्यादा पैसे लग जायेगें लेकिन यहाँ आधे से भी कम कीमत में मिल जाती हैं.कुछ ऐसी किताबें हैं जिन्हें किताब की दुकानों में खोजने के लिए सप्ताह भर का चक्कर लगाना पड़ेगा लेकिन यहाँ आसानी से मिल जाती हैं.”
केवल रामनरेश जैसे लोग ही यहाँ दुर्लभ और सस्ती किताबों की खोज में नहीं आते.यहाँ हर रोज हजारों छात्र आते हैं अपने पाठ्यक्रम से जुडी और अपने मनपसंद किताबों की खोज में.पटना विश्विद्यालय के पीजी हिस्ट्री के छात्र आशुतोष कहते हैं-‘ यहाँ पाठ्यक्रम के अलावा और भी कई ऐसी दुर्लभ पुस्तकें मिल जाती हैं जो पटना के बड़ी बड़ी किताब की दुकानों में आपको नहीं मिलेगीं. यहाँ किताबें पचास से सतर फीसदी सस्ती मिल जाती हैं और वो भी बिलकुल नयी जैसी.”
छात्र गांधी मैदान के आसपास करीब आधा किलोमीटर में घूम-घूमकर अपनी पसंद की किताब तलाशते हैं.खूब मोल-जोल करते हैं .यहां कॅरियर, मोटिवेशनल, जीवनी, आत्मकथा, विज्ञान, यात्रा संस्मरण, व्याकरण, उपन्यास से लेकर अध्यात्म तक की दुर्लभ किताबें मिल जाती हैं.पढ़ने के बाद यहीं पर छात्र अपनी किताबें बेच भी देते हैं.अपने काम न आनेवाली अपनी पुराणी किताबें बेचकर अपने काम की पुराणी किताबें छात्र यहाँ से ले जाते हैं.यहाँ बोर्ड से लेकर पीजी तक की किताबें मिल जाती हैं.
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