अब बिहार सरकार खैनी पर प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी कर रही है.राज्य में बढ़ते माउथ और ओरल कैंसर की भयावहता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग खैनी पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला लेने जा रहा है.
सिटी पोस्ट लाइव :”अस्सी चुटकी नब्बे ताल ,तब देख खैनी के कमाल “,लेकिन अब ताल बिहार में ज्यादा दिन तक नहीं लग पायेगी.अब बिहार सरकार खैनी पर प्रतिबन्ध लगाने की तैयारी कर रही है.राज्य में बढ़ते माउथ और ओरल कैंसर की भयावहता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग खैनी पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला लेने जा रहा है.स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के अनुसार केंद्र को एक पत्र लिखकर खैनी को खाद्य उत्पाद के रूप में अधिसूचित करने का अनुरोध किया गया है. केन्द्र की एजेंसी खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा खाद्य उत्पाद के रूप में अधिसूचित किए जाने के बाद ही राज्य सरकार के पास स्वास्थ्य आधार पर खैनी पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति मिल जाएगी.
संजय कुमार के अनुसार अभी वर्तमान नियम के अनुसार सिगरेट के रूप में केवल तंबाकू के उपयोग को नियंत्रित करने का अधिकार है.खैनी पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए नियम में परिवर्तन जरुरी है. संजय कुमार ने कहा कि बिहार में कैंसर रोग की भयावहता की सबसे बड़ी वजह तम्बाकु का सेवन है. सबसे बड़ी बात ये है कि बिहार में हर पांचवां शख्स खैनी का सेवन करता है,ऐसे में इसे रोक पाना आसान काम नहीं होगा.
गौरतलब है कि 40 फीसदी कैंसर मुंह का कैंसर खैनी के कारण होता है. पिछले सात साल में, तंबाकू की खपत की 53 प्रतिशत से घटकर 26 प्रतिशत हो गई है. इसमें 21 फीसदी संख्या सिर्फ खैनी खाने वालों की है. इस खैनी का उपभोग करने वाले लोगों की संख्या बहुत ही चिंताजनक है. अगर इस ओर समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्वस्थ बिहार की संकल्पना कभी पूरी नहीं हो पायेगी .
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