जयंती विशेष : बिहार में गांधी के सत्याग्रह के सारथी थे भारत के पहले राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद
जयंती विशेष : बिहार में गांधी के सत्याग्रह के सारथी थे भारत के पहले राष्ट्रपति डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद
सिटी पोस्ट लाइव (अभिषेक कुमार) : देश की राजनीति का वर्तमान कई मायनों में जितना बुरा नजर आता है अतीत उतना हीं सुनहरा और शानदार रहा है। देश की सियासत में बदनाम किरदारों की फेहरिस्त जितनी लंबी है उससे कहीं ज्यादा लंबी है सियासत में बड़ा मुकाम तय करने वाले उन महान व्यक्तियों का योगदान जिन्होंने न सिर्फ देश का नेतृत्व किया, बल्कि खुद को एक व्यक्ति नहीं बल्कि संस्कार के रूप में स्थापित किया। राजनीतिक मूल्यों को उंचाई देने वाले एक ऐसे हीं व्यक्तित्व भारत के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न राजेन्द्र प्रसाद की आज 134वीं जयंती है।
राजेन्द्र प्रसाद महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन के बिहार में सारथी रहे थे। जब 1930 में महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह आंदोलन चलाया तो राजेन्द्र प्रसाद को इसके लिए बिहार का मुख्य नेता बनाया गया। प्रसाद ने फंड बढ़ाने के लिए नमक बेचने का भी काम किया। भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गाँव में हुआ था, तमाम अभावों के बावजूद उन्होंने शिक्षा ली, कानून के क्षेत्र में डाक्टरेट की उपाधि भी हासिल की. राजेंद्र प्रसाद ने वकालत करने के साथ ही भारत की आजादी के लिए भी काफी संघर्ष किया।1905 में जब गोपाल कृष्ण गोखले ने उन्हें सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी ज्वाइन करने को कहा तो वे असमंजस की स्थिति में थे क्योंकि उन्हें उनका परिवार भी देखना था और पढ़ाई भी करनी थी।
इसके बारे में राजेंद्र प्रसाद ने बाद में कहा कि उनके जीवन का यह सबसे कठिन वक्त था। इसी से उनकी पढ़ाई भी खराब हो गई क्योंकि उनका सारा ध्यान देश की ओर था। उन्होंने किसी तरह से लॉ की परीक्षा पास की। राजेंद्र प्रसाद दो साप्ताहिक मैगजीन भी निकालते थे. हिंदी में निकलने वाली मैगजीन का नाम श्देशश् और अंग्रेजी में निकलने वाली मैगजीन का नाम श्सर्चलाइटश् था। प्रसाद ने 1906 में बिहारी स्टूडेंट्स कॉन्फ्रेंस का आयोजन करवाया, इस तरह का आयोजन पूरे भारत में पहली बार हो रहा था। इस आयोजन ने बिहार के दो बड़े नेताओं अनुग्रह नारायण और कृष्ण सिन्हा को जन्म दिया। प्रसाद 1913 में बिहार छात्र सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए.भारत रत्न अवार्ड की शुरुआत राजेंद्र प्रसाद के द्वारा 2 जनवरी 1954 को हुई थी। उस समय तक केवल जीवित व्यक्ति को ही भारत रत्न दिया जाता था। बाद में इसे बदल दिया गया।1962 में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को देश का सर्वश्रेष्ण सम्मान भारत रत्न दिया गया।
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