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चीन में बने दुनिया के सबसे बड़े बांध के ढहने का खतरा, डूब जाएंगे 24 राज्य.

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सिटी पोस्ट लाइव : भारत से युद्ध लड़ने की तैयारी कर रहे चीन में भीषण प्राकृतिक आपदा आ गई है.चीन के 24 प्रांतों में इन दिनों मुसलाधार बारिश हो रही है. चीनी जलविज्ञानी वांग वेइलुओ ने थ्री गोर्ज डैम की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए चेतावनी जारी किया है कि यह टूट सकता है.दक्षिणी चीन में एक जून से शुरू हुई आंधी और तूफान ने 7300 से अधिक घरों को उखाड़ फेंका है. सोमवार सुबह तक इससे लगभग 80 लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं. करीब  29 लाख डॉलर की नुकसान की संभावना जताई जा रही है.

ताइवान न्यूज के मुताबिक, लगातार हो रही बारिश से दुनिया की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना के संभावित नुकसान से चीन के लोग काफी चिंतित हैं. न्यू टॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के आश्वासन (बांध संरचनात्मक रूप से मजबूत है) के इतर वांग ने दावा किया है कि बांध खतरे में है.वांग वेइलुओ ने बताया कि बांध की डिज़ाइन, निर्माण और गुणवत्ता निरीक्षण सभी एक ही समूह द्वारा किया गया था. यह परियोजना बहुत जल्द ही समाप्त हो गई थी. उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि चीनी जल संसाधन मंत्री ये जियानचुन ने 10 जून की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया  कि देश में कम से कम 148 नदियों के जल स्तर खतरे के निशान से ऊपर हैं.

सीटी वांट की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एक साल पहले बांध की जंग को दिखाती तस्वीरों पर सवाल उठाने के बजाय, वांग ने कहा कि एक अधिक गंभीर चिंता दरारें और घटिया कंक्रीट है जो इसके निर्माण के दौरान इस्तेमाल की गई थी. उन्होंने कहा कि यांग्त्ज़ी नदी के निचले हिस्से में रहने वाले लोगों के लिए भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है. उन्हें वहां से निकालने के लिए जल्द से जल्द तैयारी करनी चाहिए.’रेडियो फ्रांस इंटरनेशनेल को दिए इंटव्यू में चीनी जल विशेषज्ञ ने जलाशय के संभावित खतरे को स्वीकार करने से इनकार करने के लिए चीनी सरकार और राज्य मीडिया की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि जिन वैज्ञानिकों ने सच बोला है उनको अपराधी की तरह पेश किया गया.

CNTV के अनुसार, थ्री गोरजेस डैम के अंदर पानी जमा होता रहता है और बाढ़ की रोकथाम के स्तर से दो मीटर ऊपर उठ गया है. हालांकि बांध को बीजिंग द्वारा मानव इतिहास में सबसे बड़ी इंजीनियरिंग उपलब्धियों में से एक माना गया है, लेकिन इसकी संरचना को लेकर  सवाल उठाए जा रहे हैं.भारत से लड़ाई लड़ने के पहले चीन को इस बाँध ओ बचाने की लड़ाई अब लड़नी पड़ रही है.

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