बिहार में बढ़ता जा रहा प्रदूषण स्तर, पटना ने कई महानगरों को छोड़ा पीछे
सिटी पोस्ट लाइव : भारत को कभी वनों का देश कहा जाता था. यहां दूर-दूर से लोग शांती एवं स्वच्छ हवा के लिये आते थें. यहाँ ऋषि और मुनी जंगलों में वर्षों तक तपस्या किया करते थें. लेकिन अब भारत को दुसरे रूप में जाना जाने लगा है. यहाँ की हवा मे सांस लेना अब खतरे से खाली नही है. अब बिहार हवा के प्रदुषण के मामले में कई शहरों को ही नहीं महानगरों को भी पीछे छोड़ता जा रहा है.
पटना की हवा में अब वो बात नही रही. अब बिहार की हवा देश में सबसे अधिक प्रदूषित हो चुकी है. बिहार के दो शहर पटना एवं मुज्जफरपुर कि हवा जहरीली हो चुकी है. सांस लेना मुश्किल है. कई बीमारियां यहां की हवा में तैर रही है. हवा में प्रदुषण का सूचकांक पीएम 2.5 [पार्टिकुलेट मैटर] दिल्ली, कानपुर , गाजियाबाद, लखनऊ और धनबाद सहित कई अन्य शहरों से भी अधिक खराब रिकार्ड किया गया है.
देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा पटना की है. दीपावली के दूसरे दिन पटना की हवा में पीएम 2.5 का स्तर 767 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रिकॉर्ड किया गया था. वहीं वायु प्रदूषण के मामले में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की हवा भी खतरनाक स्तर को पार कर गई है. मुजफ्फरपुर में बुधवार को पीएम 2.5 का स्तर 436 रिकॉर्ड किया गया. मंगलवार को यह 388 था. वहीं झारखंड के कोयला नगरी के रूप से प्रसिद्ध धनबाद में वायू का प्रदुषण पीएम 2.5 का स्तर 404 और मंगलवार को 259 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर था.
लेकिन सबसे बड़ी बात यहां आती है कि आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन है. क्या केवल सरकार को दोष देना उचित है. क्या हमें इन बिन्दुओं पर सोचने की आवश्यकता नही है. क्या हम किसी त्योहार होली, दीवाली या पार्टी फंक्शन में आतिशबाजी न करे तो वायु प्रदुषण कुछ हद तक कम नही हो सकता है. हम छोटी-छोटी दूरियों को गाड़ी की जगह साईकल से तय करे तो भी कुछ हद तक इसपर अंकुश लग सकता है.
विदेशों में लोग ऐसा करते हैं. अगर टेक्नीक का इस्तेमाल केवल आवश्यकता अनुसार करे तो भी काफी हद तक इससे निजात पाया जा सकता है. वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी वायु प्रदुषण का एक महत्वपूर्ण कारण है. अक्सर लोग इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हैं. आज लोग अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं के लिए हरे पेड़ –पौधे की कटाई कर रहे हैं. ये सभी बातों पर अगर गौर किया जाय तो समस्या से निजात मिल सकती है.
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