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‘अल्‍लाह के बंदे’ कैलाश खेर की आवाज पर झूम उठे पटनाइटस, खूब बजीं तालियाँ

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‘अल्‍लाह के बंदे’ कैलाश खेर की आवाज पर झूम उठे पटनाइटस, खूब बजीं तालियाँ

सिटी पोस्ट लाइव :  फेमस पॉप रॉक सिंगर पद्मश्री कैलाश खेर ने पटनावासियों को झुमने के लिए मजबूर कर दिया. पटना के बापू सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में कैलाश खेर के गानों पर शनिवार को पटनाइटस खूब झूमे.’ एक विरासत कला एवं फिल्‍म महोत्‍सव 2018 ‘ के समापन समारोह के दौरान बापू सभागार में कैंसर पीडि़तों की मदद के लिए आयोजित एक म्‍यूजिक कंसर्ट में चार चाँद लगाने कैलाश खेर पहुंचे थे. जैसे ही कैलाश खेर ने ‘अल्‍लाह के बंदे’ गाना शुरू किया  पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.  उन्‍होंने सैंया, तेरी दीवानी, इश्‍क न इश्‍क हो जैसे  गानों से लोगों का खूब मनोरंजन किया.

गीत संगीत के अपने कार्यक्रम शुरू करने से पहले सिटी पोस्ट लाइव के कंचन कुमारी के साथ विशेष बातचीत में कैलाश खेर ने खेर ने कहा कि बिहार गुणियों और मनीषियों की धरती है. उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने यहां कैंसर जैसे भयंकर बीमारी के खिलाफ जो जागरूकता अभियान शुरू किया है ,उसे आगे बढाने के लिए मैं बिहार आया हूँ. उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों ने  ने एक बड़ा बीड़ा उठाया है और इससे हमको जोड़ा है, यह मेरे लिए काफर की बात है. उन्होंने कहा कि वो  पटना वासियों के लिए गाने आये हैं. इस लाइव कंसर्ट के जरिये वो लोगों में जागरूकता लाने को प्रतिबद्ध हैं. उन्‍होंने कहा कि आप भी जानिये और अपने आस पास के लोगों को भी जोडिये ताकि वे इस बीमारी से जानकारी लेकर अपनी जिंदगी का बचाव कर सकें.

गौरतलब है कि बिहार की विभिन्न स्वयंसेवी कैंसर जागरूकता के अलावा अपने सामाजिक कार्य क्षेत्र के अंतर्गत बिहार के लुप्‍त हो रहे सांस्‍कृतिक, पारंपरिक एवं बिहार के विरासत को बढ़ावा देने के लिए विभिन्‍न सांस्‍कृतिक और जागरूकता अभियान चलाते रहे हैं.बिहार भाषा एवं संस्‍कृति के दृष्टिकोण से पांच भागों में विभाजित है – अंगिका, वज्जिका, मगही, भोजपुरी और मैथिली.इन पांचों की संस्‍कृति भी विविधताएं हैं. जैसे भोजपुर का चैता, कजरी, सोहर एवं कटनी नृत्‍य और मगध का देवाश एवं छठ पूजा विश्‍वभर में प्रसिद्ध है. अंग प्रदेश में बिहुला विषहरी लोक गाथा और मिथिला में राम विवाह के अवसर पर गाये जाने वाले संस्‍कार वाले गीतों का अपना ही महत्‍व है.

कैलाश खेर ने अपने गीत संगीत से तो लोगों को झुमाया ही साथ ही उन्होंने बिहार के लोगों को जरुरतमंदों की सहायता के लिए प्रेरित भी किया. उन्होंने बिहारियों को यह अहसास दिलाया कि हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध है और इसे बचाए रखना कितना जरुरी है.

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