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आर्थिक तंगी और भ्रष्टाचार से तंग आकर शिक्षक करने लगे हैं आत्म-हत्या.

शिक्षक ने अपने हाथ की कलाई काटकर खून से लिखा भ्रष्टाचार मुर्दाबाद, दुसरे शिक्षक ने दे दी जान.

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सिटी पोस्ट लाइव :शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और आर्थिक तंगी से आजिज आकर बिहार में दो शिक्षकों ने आत्म-हत्या की कोशिश कर ली है.खबर  के अनुसार  सीतामढ़ी में अपने ही विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार से तंग आकर एक शिक्षक ने खुदकुशी का प्रयास किया है. जिला मुख्यालय डुमरा स्थित परेड स्थल मैदान में ध्वजारोहन मंच पर शिक्षक ने खुद से कलाई की नस को काटा और खून से दो शब्द लिख डाले भ्रष्टाचार मुर्दाबाद. खून से लतपथ शिक्षक को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जख्मी शिक्षक बेला थाना क्षेत्र के नरगा गांव निवासी संजीव कुमार है जिसकी प्रतिनियुक्ति बरियारपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय लपटी टोला में है.

शिक्षक के पॉकेट से लंबित वेतनमान को लेकर डीएम को संबोधित 28 जनवरी 2019 का आवेदन बरामद हुआ है. जख्मी शिक्षक संजीव ने बताया कि प्रशिक्षित शिक्षक होने के बावजूद उसका वेतन जुलाई 2015 से ही विभाग द्वारा बंद किया गया हुआ है. उसने बताया कि वो अपने लंबित वेतन को लेकर पंचायत से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काट कर थक गया है. लेकिन किसी तरह का सहयोग न मिला जिसके कारण फ्रस्टेड होकर उसने ये कदम उठाया है. जख्मी शिक्षक को इलाज के लिए मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच रेफर किया गया है.

राजधानी पटना के फतुहा थाना क्षेत्र में भी आर्थिक तंगी से ऊबकर एक दिव्यांग विधवा शिक्षिका ने पुनपुन नदी में छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली. स्थानीय लोगों द्वारा घटना की जानकारी दिए जाने के बाद पुलिस मौके पर पहुंचकर शव की तलाश में जुट गई है. हालांकि, अब तक शव की बरामदगी नहीं हो सकी है. पुलिस ने घटनास्थल से दिव्यांग महिला शिक्षिका का ट्राई साइकिल और वैशाखी बरामद कर लिया है.

पुनपुन नदी में छलांग लगाने वाली महिला शिक्षिका की पहचान थाना क्षेत्र के गोविंदपुर निवासी शांति देवी के रूप में की गई है. वह निजी विद्यालय में शिक्षिका के पद पर तैनात थी. बताया जाता है कि 2 वर्ष पूर्व पति की बीमारी से हुई मौत के बाद अपने दो बच्चों की परवरिश को लेकर शांति देवी ने एक निजी विद्यालय में शिक्षण का कार्य शुरू किया था. इससे वो अपना और अपने दो बच्चों की परवरिश करती थी. लेकिन कोरोना संक्रमण को लेकर पिछले 3 माह से विद्यालय बंद होने और वेतन नहीं मिलने के कारण परिवार के समक्ष भीषण आर्थिक तंगी की समस्या उत्पन्न हो गई, जिससे शांति देवी खासी परेशान थीं.उसने अपनी जान दे दी.

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