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डॉलर के मुकाबले रुपया 19 महीने के सबसे निचले स्तर पर, बढ़ेगी महंगाई

रुपया फिलहाल एशियाई देशों में सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा

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डॉलर के मुकाबले रुपया 19 महीने के सबसे निचले स्तर पर, बढ़ेगी महंगाई

सिटी पोस्ट लाइव : डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया गुरुवार को अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. इससे अर्थव्यवस्था पर असर के साथ महंगाई बढ़ने से आपकी जेब पर असर होगा. कच्चे तेल के बढ़ते दामों और अमेरिका द्वारा छेड़े गए व्यापार युद्ध से रुपया सुबह 49 पैसे लुढ़ककर रिकॉर्ड स्तर 69.10 रुपये पर पहुंच गया. रुपया फिलहाल एशियाई देशों में सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा हो गई है. महीने के आखिरी दिनों में आयातकों विशेषकर तेल रिफाइनरी एवं बैंकों से अमेरिकी डॉलर की लगातार मांग से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी रही, जिससे रुपया गिरता चला गया. हालांकि रुपया शाम को थोड़ा सुधरकर 34 पैसे नीचे 68.95 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. रुपया बुधवार के कारोबारी दिन में डॉलर के मुकाबले गिरकर 68.61 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. मुद्रा डीलरों ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और रुपये में गिरावट से भारत दोहरी मार झेल रहा है. रुपये का इससे पहले सबसे निचला स्तर चार नवंबर 2016 को था, तब वह 68.87 रुपये तक टूटा था.

भारतीय मुद्रा में गिरावट का असर आम उपभोक्ता की जेब पर भी होगा. निर्यात के मुकाबले ज्यादा आयात करने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था में रुपया गिरने से महंगाई बढ़ेगी. सामान की खरीद पर आपका खर्च बढ़ेगा. कच्चे तेल के दाम बढ़ने और उसके बदले ज्यादा रुपया चुकाने से तेल कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा. इससे पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस के दाम बढ़ने तय हैं. इससे आयातित वस्तुओं समेत हर सामान महंगा हो सकता है. तेल के दाम बढ़ने से खाने-पीने के सामान की ढुलाई महंगी हो सकती है, इससे उनके दाम बढ़ सकते हैं. यानी आपका खर्च बढ़ेगा और बचत कम होगी. कच्चे तेल में उछाल और रुपया गिरने से महंगाई बढ़ती है तो रिजर्व बैंक ब्याज दर में बढ़ोतरी कर सकता है. इससे आपके होम लोन, वाहन लोन की ईएमआई बढ़ सकती है. रुपया का अवमूल्यन जारी रहता है तो इलाज का खर्च भी बढ़ेगा. दरअसल, हम 80 फीसदी मेडिकल उपकरण आयात करते हैं और इसका असर अस्पताल के बिल पर भी पड़ेगा.

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