सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में स्कूलों के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव करने की तैयारी सरकार कर रही है. नई शिक्षा नीति के तहत कक्षा 1 से कक्षा 12 तक के पाठ्यक्रम में बदलाव करने की तैयारी चल रही है. स्कूली शिक्षा में बदलाव की इस प्रक्रिया को साल 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद किताबें भी पूरी तरह से बदल जाएंगी. इससे प्रदेश के लाखों छात्र-छात्राएं प्रभावित होंगे. इसका उद्देश्य पाठ्यक्रम में अन्य बदलावों के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को पाठ्यक्रम में समुचित जगह देना है.
नई शिक्षा नीति के तहत देशभर में स्कूली पाठ्यक्रम को बदलने की कवायद तेज हो गई है.सूत्रों की मानें तो नई शिक्षा नीति के तहत साल 2026 तक पहली क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक की किताबें पूरी तरह से बदल जाएंगी.नई शिक्षा नीति की सबसे अच्छी बात यह है कि अब क्षेत्रीय भाषाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा. प्रारंभ में ही पांचवीं कक्षा तक मगही, भोजपुरी, अंगिका और वज्जिका भाषाओं की पढ़ाई शुरू हो सकेगी. वर्तमान में इन भाषाओं की अलग से पढ़ाई नहीं हो रही है, लेकिन वर्षों से इन भाषाओं की पढ़ाई की मांग उठती रही है. इसके बाद शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों की राय पर इन चार नए भाषाओं को नए पाठ्यक्रम में जगह दिया जा रहा है.
छात्र नए सिलेबस को अच्छी तरह समझ सकें और उनका ज्ञानवर्धन हो सके इसको लेकर रचनात्मक और अनुभवों के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है. हालाकि, जल्द ही इसको लेकर शिक्षकों, शोधार्थियों, छात्रों ओरशिक्षण संस्थानों से भी सुझाव लिए जाएंगे. बताते चलें कि वर्तमान में मौजूदा पाठ्यक्रम वर्ष 2005 के आधार पर संचालित हो रहा है.नए पाठ्यक्रम और उसकी रूपरेखा के आधार पर पुस्तकों को तैयार करने के लिए नोडल अफसरों की प्रतिनियुक्ति भी कर दी गई है.