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BPSC में मेरिट घोटाला, 73 कार्यरत दंत चिकित्सकों ने दी आत्मदाह की धमकी

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BPSC पर लगा मेरिट घोटाला का आरोप, 73 कार्यरत दंत चिकित्सकों ने दी आत्मदाह की धमकी

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) पर एक बड़ा आरोप लगा है. संविदा डेंटल चिकित्सों ने बीपीएससी पर मेरिट घोटाले (Merit Scam) का आरोप लगाया है और सरकार से न्याय (Justce) की गुहार लगाई है. चिकित्सकों का आरोप है कि डेंटल सर्जन (Dental surgeon) के साक्षात्कार (Interview) में बीपीएससी ने कई प्रकार की गड़बड़ियां की हैं. योग्य उम्मीदवारों को फेल और अयोग्य उम्मीदवारों को पास कर दिया गया है. इस बाबत राज्य सरकार से कई बार गुहार लगाकर थक चुके अभ्यर्थियों ने सरकार को सीधा अल्टीमेटम दे दिया है कि रिजल्ट में सुधार नहीं होता तो सामूहिक रूप से चिकित्सक आत्मदाह (Self-immolation) करेंगे.

गौरतलब है कि राज्य में 35 साल बाद स्थायी डेंटल सर्जन की नियुक्ति को लेकर विज्ञापन निकाले गए थे. स्थायी डेंटल सर्जन की नियुक्ति का जिम्मा सरकार ने बीपीएससी को दिया था. इसी आधार परआयोग ने 558 चिकित्सकों की बहाली के लिए मार्च, 2915 में विज्ञापन निकाला था.इसके लिए इंटरव्यू का आयोजन किया गया था. इसमें राज्यभर के 350 संविदा दंत चिकित्सक समेत कुल 1833 कैंडिडेट शामिल हुए थे. आयोग ने 552 कैंडिडेट की मेरिट लिस्ट 29 सितंबर 2018 को जारी की थी. इसमें 280 संविदा चिकित्सक भी सफल हुए थे और 73 संविदा दंत चिकित्सकों को फेल कर दिया गया था. अब चयन से वंचित संविदा दंत चिकित्सकों ने बीपीएससी पर साक्षात्कार में मेरिट घोटाला का आरोप लगाया है.

अभ्यर्थियों का आरोप है कि बिना अनुभव वाले कैंडिडेट को साक्षात्कार में 10 से 14 नंबर तक दिए गए, लेकिन जो अनुभवी एवं वर्षों से कार्यरत संविदा दंत चिकित्सक हैं, उनमें अधिकतर को साक्षात्कार में शून्य से लकेर 3 नंबर तक दिए गए. इस कारण पहले से कार्यरत 73 चिकित्सक फेल हो गए.अभ्यर्थियों का आरोप है कि जो रसूखदार और पहुंचवाले कैंडिडेट थे, उन्हें साक्षात्कार में अधिकतम अंक यानि 10 से 14 तक दिए गए और उनको मेरिट लिस्ट में जगह मिल गई. आरोप ये भी है कि कई फेल कैंडिडेट को मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद भी दोबारा पास कर दिया, जबकि जो मेरिट लिस्ट में सफल कैंडिडेट थे, उन्हें बाद में फेल कर दिया गया.

मामला पल्लवी नामक कैंडिडेट से जुड़ा है जिसे आयोग ने रिजल्ट जारी होने के 106 दिनों बाद बाद फेल कर दिया. इसमें जो कारण दिए गए उसके अनुसार कैंडिडेट ओबीसी की महिला उम्मीदवार है जबकि महिला का रिजल्ट ईबीसी श्रेणी में दिया गया था.दूसरी ओर आरोप ये भी है कि मेरिट लिस्ट में फेल हुई कैंडिडेट तूलिका रानी को साढ़े 3 महीने बाद पास कर दिया गया. वहीं, एक कैंडिडेट अविनाश कुमार जो कि मेरिट लिस्ट में असफल थे, उसे रिजल्ट प्रकाशन के 10 महीने बाद पास कर दिया गया. कारण यह दिया गया कि उसके अनुभव कार्य के लिए दिए गए अंकों की गणना में भूल हुई थी.

गौरतलब है कि मेरिट लिस्ट के निर्धारण के लिए कुल 100 अंक रखे गए थे जिसमें बीडीएस के प्राप्तांक के लिए 50 अंक, स्नातकोत्तर एवं उच्चतर डिग्रीवालों के लिए 10 अंक और कार्य अनुभव के लिए प्रतिवर्ष 5 अंक और अधिकतम 5 वर्षों के लिए अधिकतम 25 अंक देना था. जबकि साक्षात्कार के लिए मात्र 15 अंक रखे गए थे.यानि कुल 100 अंकों के आधार पर मेरिट लिस्ट जारी होना था. बावजूद नियमों को ताक पर रखते हुए बीपीएससी ने अधिकतम 13 साल के कार्यानुभव वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में जीरो से लेकर 3 अंक तक दिया. नतीजा प्वाइंट 1 से लेकर 3 अंक तक कम आने पर अभ्यर्थियों को फेल कर दिया गया.

अभ्यर्थियों के इस आरोप को ख़ारिज करते हुए BPSCके सेक्रेटरी केशव रंजन प्रसाद ने कहा कि आयोग पूरी तरह निष्पक्षता के साथ काम करता है. जो भी आरोप लगाए जा रहे बेबुनियाद हैं. पहले से काम कर रहे दंत चिकित्सको के आरोप पर उन्होंने कहा कि पहले काम रहे हो या कोई फ्रेश हो, इससे फर्क नहीं पड़ता. इंटरव्यू में जो जैसा परफॉर्म करता है, नंबर वैसे ही दिए जाते हैं.

इस मामले की सच्चाई क्या है यह तो जांच के बाद पता चल सकता है, लेकिन बीपीएससी तो जांच से साफ इनकार कर रही है. जाहिर है संविदा दंत चिकित्सकों का भविष्य अब अंधकारमय होता जा रहा है. अब इन्हें डर इसबात की है कि उम्र के इस पड़ाव पर आखिर करें तो क्या करें?

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