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CM नीतीश को उपेन्द्र कुशवाहा की नसीहत, मुख्यमंत्रीजी यही सही समय है, चुकिए मत….

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CM नीतीश को उपेन्द्र कुशवाहा की नसीहत, मुख्यमंत्रीजी यही सही समय है, चुकिए मत….

सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना के संकट काल में बिहार की सियासत खूब परवान चढ़ रही है.तेजस्वी यादव और लालू यादव के बाद RLSP सुप्रीमो उपेन्द्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर समय रहते संभल जाने की नसीहत दी है.कुशवाहा ने अपने पत्र में 18 क्षेत्र के लोगों को आर्थिक मदद देने की मांग करते हुए लिखा है कि बिहार में 22 मार्च से लॉकडाउन है. इस दौरान राज्य की तमाम आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं. देश भर से लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों को वापस आ रहे हैं.

उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से यहां के किसान, मजदूर, दुकानदार और छोटे-मोटे काम करने वाले लोगों पर बड़ी मार पड़ी है. साथ ही एमएसएमई और दूसरे बड़े उद्यम चलाने वाले भी बहुत संकट में हैं. अप्रैल महीने में राज्य की बेरोजगारी दर 46.6 फीसदी के साथ आज़ाद भारत में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है. सरकार ने इस साल 2.11 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था और अब केंद्र सरकार भी 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज ला चुकी है. इसमें राज्यों का भी पर्याप्त हिस्सा होगा. ऐसे में सरकार को राज्य की आर्थिक गतिविधियों को चलाने के लिए बडे आर्थिक पैकेज के साथ लोगों को राहत पहुंचाने का काम करना चाहिए. अगर अभी अपेक्षित कदम नहीं उठाये गए तो बिहार और भी पीछे चला जाएगा। कुशवाहा ने सीएम नीतीश को सलाह दी है कि हमारे लिए केंद्र सरकार से तत्काल विशेष राज्य का दर्जा मांगने का यह सही समय है.

रालोसपा समझती है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए कुछ वर्ग को तुरंत राहत पहुंचाने की जरूरत है. इसलिए पार्टी निम्नलिखित सुझावों पर अमल करने का निवेदन करती है. राज्य के धोबी, लुहार, बढ़ई, दर्जी, रेहड़ी-पटरी और नाई का काम करने वाले परिवारों को पांच-पांच हजार रुपए दिए जाएं.सब्जी व फूल उत्पादकों को प्रति एकड़ 5,000 रुपए की राहत दी जाए. रोजाना हाट-बाजारों में सब्जी, फल, फूल, चूड़ी-लहठी व अन्य सामानों को बेचकर अपने परिवार का भरण- पोषण करने वालों को 5000/- प्रति परिवार दिया जाए.ऑटो-टैक्सी एवं ठेला-रिक्शा चलाकर गुजारा करने वाले परिवारों को भी 5,000 रुपए मुआवजा दिया जाए. संगठित एवं असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले कामगारों, कुशल व अकुशल श्रमिकों तथा खेतिहर मजदूरों को 5,000 रुपए की मदद दी जाए.

उपेन्द्र कुशवाहा ने हलवाई, कुम्हार, जुलाहा, बुनकर, बीड़ी बनाने वाले, ताड़ी बेचने वाले, सड़क किनारे जूता-चप्पल सिलने वाले, पान व चाय दुकान चलाने वाले प्रत्येक परिवार को भी पांच-पांच हजार रुपए दिए जाने की मांग की है. राज्य भर में काम करने वाले छोटे औद्योगिक इकाई यानी एमएसएमई, दुकानदार और व्यापारियों को तीन महीने के बिजली बिल पर मासिक फिक्स्ड चार्ज माफ किया जाए. राज्य भर के मॉल और बड़े रीटेलरों सहित बड़े उद्योगों के बिजली बिल के फिक्स्ड चार्जेज को कम से कम तीन महीने के लिए टाला जाए और उसे अगले एक साल के दौरान मासिक किस्तों में वसूल किया जाए.

उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि किसानों को कई जिलों में गेहूं इनपुट अनुदान नहीं मिल रहा है.आपको ज्ञात है कि जब गेहूं पकने का समय था, उन्हीं दिनों बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण फसलों को 25-30 फीसदी का नुकसान हुआ. साथ में, गेहूं का दाना भी ठीक से आकार नहीं ले पाया। इससे किसानों को बड़ा नुकसान हुआ.इसीलिए गेहूं किसानों को भी इनपुट अनुदान दिया जाए.लीची किसानों पर लॉकडाउन और मौसम की दोहरी मार पड़ी है। इस वर्ग को भी विशेष सहायता की जरूरत है और उनके नुकसान का आकलन कर उन्हें आर्थिक् सहयोग किया जाए. पांच एकड़ तक के मालिकाना हक वाले किसानों के 20,000 रुपए तक का कृषि ऋण माफ किया जाए.

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