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बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद, जीतन राम मांझी से मिले सांसद अरूण कुमार

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जीतन राम मांझी से मिलने पहुंचे सांसद अरूण कुमार, बन सकता है तीसरा मोर्चा!

सिटी पोस्ट लाइव : लोकसभा चुनाव को लेकर नए पुराने राजनीतिक समीकरण बनने लगे हैं. देशभर में बड़ी छोटी पार्टियां अपनी जमीन तलाशने में जुटी है. वहीं बिहार में सीटों को लेकर घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां उपेन्द्र कुशवाहा बीजेपी को 30 नवम्बर का अल्टीमेटम दे चुकी है, वहीं महागठबंधन में सीट शेयरिंग के फंसे पेंच को सुलझाने का फॉर्मूला देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का खुद का  पेंच उलझ गया है. दरअसल बिहार में सीटों की शेयरिंग के लिए चल रही जोड़तोड़ की राजनीति के बीच गुरुवार को नया समीकरण बनता दिखा है. वर्तमान में एनडीए का हिस्सा और बिहार की जहानाबाद सीट से सांसद अरुण कुमार पटना में बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी से मिलने जा पहुंचे. सांसद अरूण कुमार और जीतन राम मांझी के बीच  बंद कमरे में मुलाकात इस मुलाकात को लेकर तीसरा मोर्चा बानाए जाने को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया है..

इस मुलाकात के साथ ही ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या बिहार में एनडीए और महागठबंधन से इतर तीसरा मोर्चा बन रहा है. तीसरे मोर्चे के घटकों की बात करें तो इसका हिस्सा उपेंद्र कुशवाहा के साथ-साथ सन ऑफ मल्लाह के नाम से चर्चित मुकेश सहनी भी हो सकते हैं. तीसरे मोर्चे की संभावना को मांझी-कुमार मुलाकात ने भी बल दे दिया है. अब सवाल उठता है कि कुछ दिनों पहले तक चर्चा थी कि बीजेपी विरोधी सभी पार्टियां आगामी लोकभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी को रोकेंगे. जिसके लिए सभी महागठबंधन का हिस्सा होंगे. लेकिन ऐसा क्या हुआ जो अब तीसरे मोर्चे की बात शुरू हो गई है.

दरसल महागठबंधन में सीटों को लेकर अबतक कोई फैसला नहीं हुआ है. जीतनराम मांझी ने इस पेंच को सुलझाने के लिए कॉर्डिनेशन कमिटी बनाने का  फॉर्मूला दिया था. जिसपर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी की मांग का समर्थन करते हुए कहा था कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग के लिए कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई जाएगी. उन्होंने साफ कहा था कि अगले 2 से तीन दिनों में सीट शेंयरिंग पर फैसला लेने के लिए यह कमेंटी बनकर तैयार हो जाएगी. जिसके लिए राजद, कांग्रेस और हम के बीच बातचीत जारी है. लेकिन कई हफ़्तों के बाद भी इस मामले पर कोई फैसला नहीं आया है. मतलब यह फॉर्मूला अब ठन्डे बस्ते में चला गया है.

वहीं राष्ट्रिय जनता दल (rjd) अब तक सीटों को लेकर कुछ भी कहने बोलने से परहेज कर रहा  है. हालांकि राजद परिवार इनदिनों पारिवारिक कलह से गुजर रहा है,जिसे लेकर भी राजनीतिक फैसले लेने में तेजस्वी यादव से देर हो रही है. वहीं कांग्रेस पार्टी के वरीय नेता कौकब कादरी  पहले ही सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में महागठबंधन में शामिल होने के पहले सभी पार्टियाँ एक इस आत्म-मंथन में जुटी है कि उनके लिए फायदे का सौदा क्या है ? और इस बीच अब तीसरे मोर्चा बनाने की कवायद भी शुरू हो गई है..

बताते चलें जीतन राम मांझी से अरुण कुमार की मुलाकात के बाद गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज होने लगी हैं. अरूण कुमार ने हाल के दिनों में एकतरफ जहां उपेंद्र कुशवाहा का सपोर्ट किया था वहीं नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा था. इसके बाद उनकी मांझी से मुलाकात ये बताने को काफी  हैं कि एनडीए और महागठबंधन से इतर बिहार में तीसरे मोर्चे के विकल्प को भी उन्होंने  खुला रखा है. दरअसल तीसरे मोर्चे की कवायद में जुटे इन नेताओं का अपनी-अपनी जाति में खासा प्रभाव और पकड़ भी है. ऐसे में तीसरे मोर्चे के सहारे भी ये पार्टियां भले बड़ी कामयाबी हासिल न कर पायें लेकिन NDA और महागठबंधन का खेल जरुर बिगाड़ सकती हैं.

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