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बेगूसराय से क्यों हुआ कन्हैया का मोहभंग, क्या अब बेगूसराय से लड़ेगें चुनाव?

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बेगूसराय से क्यों हुआ कन्हैया का मोहभंग, क्या अब बेगूसराय से लड़ेगें चुनाव?

सिटी पोस्ट लाइव : इसबार के लोकसभा चुनाव में देश की सबसे चर्चित सीट थी बिहार की बेगूसराय सीट . यहाँ से मोदी के कट्टर विरोधी जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और मोदी के कट्टर समर्थक बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह के बीच मुकाबला था. कन्हैया कुमार की वजह से  बेगूसराय सीट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में रही. ऐसा लग रहा था कि बेगूसराय में फिर से बामपंथ की वापसी हो जायेगी. बेगूसराय में दर्जनों बॉलीवुड सितारे कन्हैया के चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे. सीताराम येचुरी, जावेद अख्तर, प्रकाश राज, स्वरा भास्कर, शबाना आजमी जैसे दिग्गज कन्हैया के लिए पहुंचे. उन्हें कवर करने के लिए राष्ट्रिय अंतराष्ट्रीय मीडिया की टीमें पहुँचीं.

ऐसा लगने लगा कि कन्हैया के आने से वामपंथ की धारा को बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में  संजीवनी मिल गई. लेकिन, चुनाव नतीजों के बाद जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके बाद कन्हैया का अपने गृह जिला बेगूसराय से मोहभंग हो गया है. बीजेपी के गिरिराज सिंह 57 फिसद मत लेकर कन्हैया कुमार को 4 लाख 22 हजार 274 मतों के भारी अंतर से पराजित करने में कामयाब हो गए.

कन्हैया कुमार को अपने घर और अपने बूथ पर भी भरपूर समर्थन नहीं मिला. कन्हैया कुमार को अपने घर बीहट के मोहल्ले पर बने बूथों पर भी एनडीए के प्रत्याशी गिरिराज सिंह से काफी कम वोट मिले. बीहट के वार्ड क्रमांक 15 के बूथ पर कन्हैया कुमार को 703 तो गिरिराज सिंह को 807 वोट मिले. सबसे तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र के गांव मसदनपुर बीहट के बूथ नम्बर 220 पर जहाँ कन्हैया का गावं है ,वहां भी कन्हैया  महज 61 वोट से ही गिरिराज सिंह से आगे हो पाए. यहां कन्हैया को 484 और गिरिराज सिंह को 423, जबकि तनवीर हसन को महज एक वोट मिला.सीपीआई के जिले के सबसे बड़े नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह अपने गांव सफापुर के बूथ संख्या 260 पर कन्हैया कुमार को मात्र 95 वोट ही दिलवा पाए. यहाँ भी गिरिराज सिंह को 610 वोट और तनवीर हसन को 93 वोट मिले. इसी तरह मटिहानी से 15 वर्ष तक विधायक रहे राजेन्द्र राजन  के गांव गोदरगामा में बूथ संख्या 253 पर कन्हैया को 181 वोट से संतोष करना पड़ा जबकि गिरिराज सिंह यहाँ से भी 617 वोट लेने में कामयाब हुए. यहां तनवीर हसन 62 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे.

कन्हैया कुमार के लिए प्रचार में जुटे सीपीआई के राज्य परिषद सदस्य अनिल कुमार अंजान सिहमा स्थित अपने ही बूथ संख्या 137 पर कन्हैया को महज  56 वोट दिला पाए जबकि यहाँ गिरिराज सिंह को 304 और महागठबंधन को मात्र 20 वोट मिले. इसी तरह से सीपीएम नेता अंजनी सिंह महेन्द्रपुर गांव के अपने बूथ संख्या 121 पर 125 वोट ही कन्हैया के लिए जुगाड़ कर पाए. यहां भी एनडीए को 653 वोट मिले.यहाँ  महागठबंधन को मात्र 55 वोट ही मिल सके. सीपीआई के अवधेश राय एक मात्र ऐसे नेता रहे जिनके क्षेत्र में सीपीआई यानी कन्हैया कुमार को सबसे ज्यादा 335 वोट मिले.

बछवाड़ा में गिरिराज सिंह को 93, 423,  कन्हैया को 46, 962, तनवीर हसन को 31, 819 वोट मिले.  तेघड़ा में गिरिराज सिंह को 1, 00, 335, कन्हैया को 54, 517, तनवीर हसन को 13, 650 वोट मिले. मटिहानी से  गिरिराज सिंह को 1, 21, 959, कन्हैया को 45, 817 तनवीर हसन को 23, 811 मत मिले. बखरी में भी गिरिराज सिंह को 90, 552, कन्हैया को 34, 207,  तनवीर हसन को 29, 319 मत मिले. सबसे ज्यादा आगे हो गए गिरिराज बेगूसराय में जहाँ उन्हें 1, 22, 504 वोट मिले और कन्हैया को 42, 240 और तनवीर हसन को 16, 908 वोट से ही संतोष करना पड़ा.. साहेबपुर कमाल से गिरिराज सिंह को 75, 324, कन्हैया को 17, 832, तनवीर हसन को 49, 858 वोट मिले.

चेरिया बरियारपुर से गिरिराज सिंह को 83, 480, कन्हैया को 26, 288, तनवीर हसन को 31, 435 मत मिले. जबकि पोस्टल बैलेट में भी कन्हैया सिंह काफी पीछे छूट गए.गिरिराज सिंह को 4616, कन्हैया को  2059 और तनवीर हसन को 1433 पोस्टल बैलेट मत मिले. जाहिर है गिरिराज सिंह अकेला 57 प्रतिशत मत लेने में कामयाब रहे यानि कन्हैया अगर महागठबंधन के उम्मीदवार होते तो भी उनकी हार लाखों वोटों से होती. ऐसे में कन्हैया का बेगूसराय से मोहभंग स्वाभाविक है. चुनाव हारने के बाद कन्हैया बेगूसराय से गायब हैं.क्या आगे फिर से कन्हैया बेगूसराय से चुनाव लड़ने की हिम्मत जुटा पायेगें, इस सवाल का जबाब तो खुद कन्हैया ही दे पायेगें.

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