बिहार को नशामुक्त बनाने के संकल्प पर, पुलिस अधिकारियों पर डीजीपी के तल्ख बयान का सच
डीजीपी ने कहा था कि बिना थानेदार की जानकारी के नहीं चल सकता है शराब कारोबार
बिहार को नशामुक्त बनाने के संकल्प पर, पुलिस अधिकारियों पर डीजीपी के तल्ख बयान का सच
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय के जीवन एक बड़ा लक्ष्य,बिहार को शराबमुक्त और नशामुक्त बनाना बन चुका है ।डीजीपी, विभिन्य कार्यक्रमों में और आमलोगों के बीच पहुँचकर नशा मुक्ति के लिए हाथ जोड़कर अपील कर रहे हैं ।वे लोगों से कह रहे हैं शराब और अन्य तरह के नशे का सेवन कर के अपने अनमोल जीवन को नष्ट नहीं करें ।नशामुक्ति एवं स्वच्छता अभियान के तहत बिहार के पुलिस महानिदेशक, गुप्तेश्वर पाण्डे बीते 15 फरवरी को बिहार के औरंगाबाद पहुँचे थे ।इस कार्यक्रम में उन्होंने नगर भवन में आयोजित शांति सह निगरानी समिति की बैठक को सम्बोधित किया था ।उन्होंने उपस्थित सैंकड़ों की भीड़ को संबोधित करते हुए समाज को नशामुक्त बनाने की अपील की थी ।उन्होंने कहा था कि शराबबंदी के प्रति सरकार और प्रशासन की मंसा और नीति स्पष्ट है ।शराब माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। नशा मुक्ति को लेकर आम लोग भी जागरूक हो रहे हैं जिससे यह शराब बंदी सफलता की अंतिम सीढ़ी पर है ।
शराब बंदी को लेकर,लोगों को जागरूक करने के लिए बिहार के कई शहरों में 400 से अधिक सभाएं की गयी हैं ।सही मायने में,बिहार ऐसा राज्य है जहां शराब बंदी के बाद लोग जागरूक होकर,नशा मुक्ति की ओर बढ़ रहे हैं ।उन्होंने लोगों से अपील किया कि वे लोग अवैध शराब कारोबार या शराब के सेवन करने वालों की सूचना पुलिस को जरुर दें ।आम लोगों की सूचना पर,पुलिस त्वरित कार्रवाई करेगी ।इसी सभा में डीजीपी ने पुलिस की कार्यवाही पर सन्देह जताते हुए तल्ख टिप्पणी की थी ।उन्होंने कहा था कि बिना चौकीदार और थानेदार की जानकारी,सहमति और ईजाजत के,दारू का कारोबार करना,किसी के भी बस की बात नहीं है ।अगर थानेदार को अपने क्षेत्र के अपराधियों की पहचान नहीं है,तो वे थानेदार बनने के लायक नही है ।उन्होंने चौकीदार से लेकर थानेदारों को लपेटे में लेते हुए कहा था कि गाँव से लेकर शहर तक अगर कहीं भी शराब का कारोबार हो रहा है और लोग छुपके ही सही,शराब पी रहे हैं,तो इसकी जानकारी चौकीदार और थानेदार को है ।उन्होंने चौकीदारों और थानेदारों को कड़ी चेतावनी भी दी थी ।उन्होंने चौकीदारों को कड़ी हिदायत देते हुए कहा था कि वे अपने क्षेत्र में शराब पूरी तरह बन्द कराने में ईमानदारी से वरीय पुलिस अधिकारियों की मदद करें ।इस दौरान उन्होंने लॉटरी,गांजा, अफीम,शराब,चरस सहित सभी तरह की नशीली दवाओं को पूर्णतः बन्द करने का आह्वान किया था ।
उन्होंने बेहद तल्खी भरे लहजे में कहा था कि अगर पुलिस अधिकारी,नशा बंदी नहीं कर सकते हैं,तो वे भी जेल जाने के लिए तैयार रहें ।31 जनवरी 2019 को,बिहार के डीजीपी का पदभार संभालने से पहले गुप्तेश्वर पांडेय डीजी बीएमपी के पद पर काबिज थे ।अपने उस कार्यकाल में उन्होंने,बिहार में सरकार के शराबबंदी कानून को पूर्ण रूपेण अमली जामा देने के लिए बिहार के सभी 38 जिलों में डेढ़ सौ से ज्यादा,जागरूकता के लिए बड़ी सभाएं की थी ।इस जागरूकता सभा में वे लोगों को शराब की बुराई,उससे होने वाली हानियाँ और कानूनी पहलू से भी लोगों को रूबरू कराया था ।एक तरह से वे बिहार में शराब बंदी कानून को सौ फीसदी असरदार बनाने वाले,प्रदेश के ब्रांड एम्बेसडर और महानायक के रूप में नजर आते थे ।डीजीपी बनने के बाद भी इन्होंने अपनी इस पहल को रुकने नहीं दिया लेकिन इसकी रफ्तार में जरूर कमी आयी ।बीते 9 जनवरी को गुप्तेश्वर पांडेय ने शराबबंदी का मुहिम छेड़ते हुए,पटना के संपतचक स्थित चीपुरा गांव में लोगों के बीच जन चौपाल लगाया था ।यहाँ की जनसभा को संबोधित करते हुए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा था कि शराब इंसान की बुद्धि को नष्ट कर देता है और बिना बुद्धि वाले इंसान को पागल कहते हैं ।उन्होंने कहा कि अगर शराब बेचने वाले कसूरवार हैं,तो शराब पीने वाले भी कसूरवार हैं ।
शराब के धंधे में लिप्त पुलिस वाले भी उतने ही कसूरवार हैं ।पुलिस वालों पर भी शख्त से शख्त कार्यवाही की गयी है और कि जा रही है ।गुप्तेश्वर पांडेय पहले ऐसे डीजीपी हैं,जो बेहतर पुलिसिंग के लिए भी तरह-तरह के प्रयोग कर रहे हैं और नशामुक्त बिहार के लिए,अलग से कृतसंकल्पित हैं ।डीजीपी बनने के बाद इन्होंने, पुलिस के काम करने के तरीके में भारी बदलाव किए ।अब एकबार फिर से बिहार को शराबमुक्त और नशामुक्त बनाने के लिए लोगों से संवाद करने के लिए चौपाल लगा रहे हैं ।वाकई यह पुलिस अधिकारी खाकी की असली हनक को समझते हैं और नौकरी के समय लिया गया शपथ,इन्हें अभीतक याद है ।सरल,शौम्य, शालीन और बेहद परिपक्क और सधे हुए शब्दों को समेटकर,जब ये भाषण देते हैं,तो उनकी हर पंक्ति दिल में उतरती चली जाती है ।हमने भी इस अधिकारी को पूरे मानक और कसौटी पर कसा है ।हमने पाया है कि यह अधिकारी,किसी भी अपराध के लिए मानसिक कुंठा और नशा को,बहुत हद तक जिम्मेवार मानते हैं ।ये बिहार को नशामुक्त करने के साथ-साथ पूरी तरह से बिहार को संस्कारित भी करना और देखना चाहते हैं ।अब रही बात सफलता और असफलता की,तो इस पर इनका कोई जोर नहीं चल सकता हैं ।पहले शराबबंदी के लिए वे जागरूकता अभियान चला रहे थे और अब चौपाल लगा रहे हैं ।वाकई गुप्तेश्वर पांडेय एक ऐसे अधिकारी हैं,जो बेहतर पुलिसिंग के साथ-साथ बिहार को शराब और नशामुक्त कराने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं ।
डीजीपी ने कहा था कि बिना चौकीदार और थानेदार की जानकारी और सहमति के नहीं चल सकता है शराब कारोबार
डीजीपी के इस बयान पर कि बिना चौकीदार और थानेदार की जानकारी और सहमति के शराब कतई नहीं बिक सकती है को लेकर बिहार में बबाल मचा हुआ है ।डीजीपी के इस बयान को जहां विरोधी दल इसे शराबबंदी की विफलता करार रहे हैं वहीं इसे सरकार की सोची-समझी चाल बता रहे हैं ।कई रिटायर्ड पुलिस अधिकारी और पुलिस के कई संघ वाले भी इस बयान पर आपत्ति जता रहे हैं ।इनलोगों का कहना है कि पुलिस के खिलाफ, पुलिस विभाग के मुखिया को इस तरह से सार्वजनिक बयान नहीं देना चाहिए था ।डीजीपी के बयान को हॉट केक बनाकर मीडिया भी खूब खेल रहा है ।
डीजीपी से हमारी खास बातचीत
हम 35 वर्षों से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में काम कर रहे हैं ।देश के विभिन्य हिस्सों में हमने अपनी सेवा दी है ।हमने डीजीपी के रूप में गुप्तेश्वर पांडेय को एक कर्मवीर की तरह पाया है ।हमने इस गर्म मसले को लेकर 18 फरवरी को उनसे खास बातचीत की ।हमने उनसे पहले मुलाकात की और अपने आने का औचित्य बताया ।उन्होंने सम्मान के साथ हमें बिठाया ।हम बिना किसी रश्म के सीधे सवालों पर उतर आए ।हमने डीजीपी से पूछा कि आपने शराबबंदी कानून की सफलता में सबसे बड़ा रोड़ा पुलिस वालों को ही बना डाला है ।आपके इस बयान पर सियासी गलियारे से लेकर पुलिस महकमें में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं ।विरोधी दल मजाकिया लहजे में बात कर रहे हैं, तो पुलिस के बड़े अधिकारियों में नाराजगी दिख रही है ।हमारे बड़े और कठोर सवाल को डीजीपी ने गम्भीरता से सुना और बेहद शौम्य और सरल लहजे में जबाब देना शुरू किया ।उन्होंने कहा कि बिहार में 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी कानून लागू हुआ ।तब से लेकर आजतक 78 लाख 78 हजार 540 लीटर सिर्फ विदेशी शराब की बरामदगी हुई है ।
शराबबंदी से जुड़े 1 लाख 13 हजार 613 मामले बिहार के विभिन्य थानों में दर्ज हुए हैं ।शराब की तस्करी में इस्तेमाल की जा रही 28 हजार 374 गाड़ियां जब्त की गयी हैं ।517 पुलिसकर्मियों के खिलाफ कारवाई की गई है जिसमें 73 पुलिसवालों को सेवा मुक्त भी किया गया है ।शराब की तस्करी वाली 416 जगहों को सील किया गया है और अभी तक 64 लाख 69 हजार 849 लीटर शराब को नष्ट भी किया जा चुका है ।आखिर इतनी बड़ी कामयाबी किनकी बदौलत हासिल हुई है ?हमारे पुलिस अधिकारियों की मुस्तैदी और काबिलियत का यह फलाफल है ।लेकिन इतनी उपलब्धियों के बाद भी शराब का कारोबार छुप-छुपाके हो रहा है ।शराब की बरामदगी भी हो रही है पीने वाले भी दबोचे जा रहे हैं ।इसका यह मतलब हुआ कि अभी तक हम,इस कानून को सौ प्रतिशत लागू कराने में सफल नहीं हो सके हैं । बिहार पुलिस के गार्जियन का दायित्व हमें मिला है ।बिहार के सारे पुलिस वाले हमारे परिवार के सदस्य हैं ।हम अपने परिवार के सदस्य से उम्मीद नहीं करेंगे, तो किससे करेंगे ? हम अपने परिवार के सदस्य को सिर्फ प्यार ही करते रहें कि समय-समय पर उन्हें, डांटना भी हमारा फर्ज है ।
हम सार्वजनिक मंच से चौकीदार और थानेदार को इसलिए अधिक डांटते और किसी मामले में ज्यादा जिम्मेवार इसलिए बताते हैं कि ये दोनों पुलिस विभाग और पुलिसिंग की रीढ़ हैं ।इनके जिम्मे बहुत ताकत है ।इनकी ईमानदारी से,पुलिस की पूरी छवि बदल जाएगी और खाकी की असली हनक दिखने लगेगी ।पुलिस वालों की कर्तव्यनिष्ठा और बेहतरीन कार्यों की वजह से ही हमें शराब माफियाओं पर नकेल कसने में कामयाबी मिली है ।पुलिस वाले बढ़िया से काम करेंगे,तो सरकार के साथ-साथ हम अलग से उन्हें पुरस्कृत करेंगे ।उनकी पीठ थापथपाएँगे और उनके जोश में और ऊर्जा भरेंगे ।आज इतने अपराधी दबीचे जा रहे हैं और हथियारों का जखीरा बरामद हो रहा है ।यह सारे कारनामें,हमारे पुलिस वाले ही कर रहे हैं ।हम पूर्वाग्रह से मुक्त होकर अपना कर्तव्य कर रहे हैं ।अब हम अपने परिवार के सदस्य को घर में अनुशासित कर रहे हैं,या फिर चौराहे पर,इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए ।हमारी भावना है कि हम नशामुक्त और अपराध मुक्त बिहार बनाएं ।
हम बिहार पुलिस को,देश का नम्बर वन पुलिस बनते देखना चाहते हैं ।हमने डीजीपी से यह भी पूछा कि थानेदार केस दर्ज करने और दफा लगाने का और पुलिस के बड़े अधिकारी दफा जोड़ने,हटाने और केस को ट्रू और फॉल्स करने के नाम पर लाखों की उगाही करते हैं ।थाने की बोली लगती है ।इसपर आप क्या कर रहे हैं ।हमारे इस सवाल के जबाब में उन्होंने कहा कि जब कोई अपसंस्कृति, संस्कृति बन जाती है,तो उसे बदलने में थोड़ा समय लगता है ।हमने आपकी बातों को एकबार में समझ लिया है और हमारी दृष्टि हर ओर है ।बहुत जल्द आपलोगों को चाक-चौबंद और बिल्कुल बदली हुई तेज-तर्रार बिहार पुलिस मिलेगी ।असली सुशासन को हम जमीन पर उतारकर रहेंगे ।हमने उनसे यह भी पूछा कि बिहार के विभिन्य जिलों से थोक में पीड़ित,आप तक पहुंचते हैं लेकिन ससमय उन्हें न्याय नहीं मिल पाता है ।
इसके जबाब में उन्होंने कहा कि यहाँ आने के बाद सभी को न्याय मिलता है ।यह अलग बात है कि बीच की प्रक्रियाओं में कुछ समय जरूर लगते हैं ।आप एक भी ऐसा केस हमें बताएं,जिसमें पीड़ित को न्याय नहीं मिला हो ?कुल मिलाकर,हमसे हुई बातचीत के दौरान डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय काफी सहज दिखे और उनकी आंखों में बिहार पुलिस को आसमानी सम्मान मिले,इसकी पिपासा नजर आयी ।मोटे तौर पर उनका कहना था कि हम पुलिसवालों को कतई कटघरे में खड़ा नहीं कर रहे हैं ।हमारी मंसा उनसे अधिक से अधिक बेहतर कार्य कराने की है ।अब हमारे खुलेपन को कोई गलत तरीके से पेश करे,तो हम इसे कतई जायज नहीं ठहराएंगे ।वैसे यह मामला सफाई देने वाला नहीं है ।आप खुद हमारे बयान को ईमानदारी से सुनिए, आपको पता चल जाएगा कि हम अपने कनीय अधिकारियों और कर्मियों से कितनी अपेक्षा रखते हैं ।आखिर में उन्होंने यह कहकर अपनी बात खत्म करी कि सिर्फ नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए ।निर्गुण में भी आज,शगुन तलाशने की जरूरत है ।
पीटीएन मीडिया ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर पत्रकार मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट
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