एनडीए में सीट शेयरिंग की तस्वीर हुई साफ, महागठबंधन में रार, सातवें आसमान पर
सिटी पोस्ट लाइव “विशेष” : बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर एनडीए ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। कौन कहाँ से चुनाव लड़ेंगे, यह भी तय हो चुका है। लेकिन महागठबंधन में रार ना केवल सातवें आसमान पर है बल्कि सर-फुटौव्वल की स्थिति बनी हुई है। इस लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव महानायक की भूमिका में हैं। अभीतक जीतन राम मांझी को मनाया नहीं जा सका है। शिवहर सीट से कांग्रेस के टिकट पर लवली आनंद की दावेदारी बरकरार है लेकिन तेजस्वी वहां से राजद का उम्मीदवार खड़ा करने की जिद पाले हुए हैं। शिवहर सीट को लेकर शरद यादव और शिवानंद तिवारी भी लवली आनंद को कांग्रेस के टिकट से लड़वाने के लिए तेजस्वी पर दबाब बना रहे हैं। इस सीट के लिए कांग्रेस के शीर्ष नेता भी तेजस्वी को समझाने और मनाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन तेजस्वी का रवैया नेपोलियन और मुसोलनी की तर्ज पर बेहद डिक्टेटरशिप वाला है। यह समय संजीदगी से भरा है और तकरार सहित रार को पाटने वाला है ।तेजस्वी को दूरदर्शिता से फैसले लेने चाहिए।
इधर पप्पू यादव ने अपने सुर बदल कर लालू चालीसा पढ़ना शुरू कर दिया है। राजद को बाप-माँ और भाई-बहन से लेकर ट्यूटर-चौपाल पार्टी कहने वाले पप्पू यादव अब लालू को अपना सगा और एक खून का बता रहे हैं। पप्पू यादव ने तो तेजस्वी को लेकर यहाँ तक कह दिया था कि राजद का नेतृत्व एक बंदर के हाथ में है। पप्पू यादव अब एकतरफ राजद से निकटता चाह रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेतृत्व पर भरोसा कर के कोई भी फैसला स्वीकारने की बात कर रहे हैं। वैसे हम यह बताना बेहद जरूरी समझ रहे हैं कि पप्पू यादव अपनी पार्टी जाप को 7 और 8 सीट पर चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटे हैं। आखिर में वे खुद जाप से मधेपुरा संसदीय सीट से अपनी उम्मीदवारी की भी घोषणा करेंगे। पप्पू यादव कोसी इलाके के मास्टर माईंड और चतुर राजनीतिज्ञ माने जाते हैं।
अभी तक शिवहर सीट पर बरकरार धूंध से आनंद मोहन के समर्थक दुःखी और नाराज दिख रहे हैं। वैसे एनडीए में घटक दल अपने हिस्से की सीटें लेकर संतुष्ट हैं और भीतर-भीतर उनका चुनाव प्रचार भी शुरू है। लेकिन तेजस्वी की हठधर्मिता से महागठबंधन की सूरत साफ-साफ नहीं दिख रही है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो, इस नौटंकी का खामियाजा महागठबंधन को लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है। सभी की निगाहें कल कांग्रेस और राजद की होने वाली बड़ी बैठक पर टिकी हुई है। सीटों पर मुहरबन्दी के लिए इस बैठक को आखिरी बैठक के रूप में देखा जा रहा है। समाजवाद, अल्पसंख्यक और बहुजनों की हित की वकालत करने वाली पार्टियों को जब टिकट बंटवारे में इतनी मुश्किलें आ रही हैं, तो ईश्वर जानें कि इनसे जनता को कितना फायदा होगा।
पीटीएन न्यूज मीडिया ग्रुप के सीनियर एडिटर मुकेश कुमार सिंह की “विशेष” रिपोर्ट
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