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प्रधानमंत्री जी! ऐसे कैसे बचेगा गांव, बिहार का देख रहे हैं क्या है हाल?

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सिटी पोस्ट लाइव : PM नरेन्द्र मोदी की सबसे बड़ी चिंता गांव को बचाने को लेकर है.विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में देश भर के मुख्यमंत्रियों से बातचीत में PM ने गावों को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि हमें किसी भी कीमत पर गावों को कोरोना के संक्रमण से बचाना है. लेकिन PM साहेब आपसे सिटी पोस्ट जानना चाहता है कि कैसे बचेगा गांव. बिहार में आज ट्रेनों से 1.80 लाख मजदूर बिहार पहुंचे हैं. अब आनेवाले प्रवासियों की संख्या और भी बढनेवाली है.ऐसे में बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों को क्वारंटाइन सेंटर (Quarantine center)  में मजदूरों को रखने से हाथ खड़ा कर दिया है.ये सभी मजदूर अब होम क्वारंटाइन  ( Home Quarantine) होगें.मतलब साफ़ है अब जितने भी प्रवासी आयेगें सीधे गावों में जायेगें.

जिस राज्य में दस बीस लाख प्रवासी मजदूर आयेगें और गावों में चले जायेगें तो फिर कोरोना के संक्रमण से कैसे बचेगें गावं? अबतक बिहार में दस लाख से ज्यादा प्रवासी  दूसरे राज्यों से आ चुके हैं. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या में लगातार वृद्धि की जा रही है. जाहिर है अब एक एक दिन में दो दो तीन तीन लाख प्रवासी मजदूर आयेगें.ज्यादातर ट्रेनों से उतरकर  गावों में चले जायेगें. जिस अनुपात में वो संक्रमित पाए जा रहे हैं, शायद ही अब गावं बचेगें.

एक आंकलन के हिसाब से ये माना जा रहा है कि बिहार के बाहर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों में से तक़रीबन 25 लाख की संख्या में प्रवासी मज़दूर बिहार आएंगे. मुख्यमंत्री ने भी ये कह दिया है की जो भी श्रमिक बिहार आना चाह रहे हैं, उन सबको बिहार लाया जाएगा. इसी लिए मज़दूरों को लाने के लिए ट्रेनों की तादाद में लगातार इज़ाफ़ा किया जा रहा है.बिहार में हर रोज़ आ रहे लाखों मजदूरों को देखते हुए राज्य सरकार के आग्रह पर रेलवे 26 पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन कर रही है. मजदूरों को लेकर एक जिले से दूसरे जिले तक जाती हैं. अंतर जिला चलने वाली ट्रेनों में बरौनी, बेतिया, बक्सर, दानापुर, जलालपुर, कर्मनाशा, कटिहार, मधुबनी, सीवान और सुपौल स्टेशन से विभिन्न जिलों के लिए ट्रेनें चलाई जा रही हैं.

अब बिहार कैसे बचेगा? इस सवाल का जबाब तो CM और PM ही दे पायेगें लेकिन अगर जो बिहारी बचाना चाहते हैं, उन्हें घर में ही दुबक कर रहना पड़ेगा.लॉक डाउन आगे बढे या न बढ़े आपको अपने घरों में लॉक डाउन रहना ही पड़ेगा. प्रवासी मजदूरों के संक्रमण का खतरा इसलिए भी ज्यादा बढ़ गया है क्योंकि ट्रेनों में ठूंस ठूंस कर रेलवे मजदूरों को भेंज रहा है.रेलवे चाहकर भी घर जल्द से जल्द पहुँच जाने को बेसब्र मजदूरों को ट्रेनों में चढ़ने से रोक नहीं पा रहा.मतलब साफ़ है सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा ट्रेनों में ही पैदा हो गया है.

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