महाराष्ट्रः शिवसेना को माया मिली न राम, कांग्रेस ने डुबोई लुटिया?
सिटी पोस्ट लाइवः महाराष्ट्र में एकबारगी यह लगा कि अपनी जिस महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए शिवसेना ने बीजेपी से पीछा छुड़ाया वो महत्वकांक्षा उसकी पूरी हो रही है। महाराष्ट्र विधानसभा में 105 सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी से सत्ता कोसों दूर चली गयी। 56 सीटों वाली शिवसेना ने बीजेपी को सिर्फ इसलिए गच्चा दे दिया क्योंकि उसकी जिद थी कि इस बार ढाई साल के लिए हीं सही सीएम की कुर्सी उसे भी चाहिए। बीजेपी नहीं मानी तो बीजेपी-शिवसेना का वर्षों पुराना गठबंधन टूट गया।
शुरूआती दौर में लगा यह शिवसेना का मास्टरकस्ट्रोक है लेकिन हर बदलते वक्त के साथ सरकार बनने की संभावनाएं खत्म होती रही तो लगा शिवसेना अति आत्मविश्वास की शिकार हो गयी और यही ओवर कांफिडेंस ने उसे फंसा दिया। बीजेपी के हाथ से सत्ता की चाबी फिसली तो शिवसेना की सरकार बनने का समीकरण एक हीं था कि एनसीपी और कांग्रेस शिवसेना को समर्थन दे। शिवसेना नेता संजय राउत कई बार एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिले। बात बनती नजर आ रही थी लेकिन सिर्फ एनसीपी के समर्थन के बूते शिवसेना की सरकार नहीं बन सकती थी, कांग्रेस की कृपा भी जरूरी थी। लेकिन ऐसा लगता है कांग्रेस को मनाने की हर कोशिश नाकाम रही है। एनसीपी शिवसेना को समर्थन देने को तैयार थी लेकिन कांग्रेस ने फायदे-नुकसान का हिसाब किताब लगाने में बड़ी देर कर दी।
राज्यपाल शिवसेना को अब और वक्त देने को तैयार नहीं हैं हांलाकि उन्होंने एनसीपी को 24 घंटो का वक्त जरूर दिया है। सवाल है कि एनसीपी के नेतृत्व में सरकार बनेगी कैसे क्योंकि उसे कांग्रेस के अलावा शिवसेना का भी समर्थन चाहिए लेकिन जिस शिवसेना ने सीएम की कुर्सी के लिए बीजेपी से वर्षो पुरानी दोस्ती तोड़ ली हो वो भला एनसीपी को क्यों समर्थन देगी? जाहिर है महाराष्ट्र राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है और अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा तो यह शिवसेना की बड़ी हार होगी। जाहिर है महाराष्ट्र में शिवसेना की लुटिया कांग्रेस ने हीं डुबोई है क्योंकि उसने अंतिम वक्त अपने पते नहीं खोले और शिवसेना कन्फयूज रही। वक्त बीत गया और बनता हुआ सरकार का गणित अचानक बिगड़ गया।
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