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जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने की इनसाइड स्टोरीः तेजप्रताप के आगे फिर झुका लालू परिवार!

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जगदानंद सिंह के प्रदेश अध्यक्ष बनने की इनसाइड स्टोरीः तेजप्रताप के आगे फिर झुका लालू परिवार!

सिटी पोस्ट लाइव : जगदानंद सिंह आरजेडी के नये प्रदेश अध्यक्ष बन गये हैं। लंबे वक्त तक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहे रामचंद्र पूर्वे इस बार अध्यक्ष नहीं बन पाए। हांलाकि पूर्वे ने यह कहा कि मैं खुद हीं प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनना चाहता था। मैंने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को इसकी जानकारी दी थी कि मैंने 10 साल प्रदेश अध्यक्ष पद संभाल लिया अब मैं इस पद पर नहीं रहना चाहता, पार्टी किसी दूसरे व्यक्ति को मौका दे। लेकिन आरजेडी के अंदरखाने से दूसरी कहानी निकलकर सामने आ रही है। आरजेडी सूत्रों के हवाले से जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक रामचंद्र पूर्वे का इस बार भी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनना तय था लेकिन तेजप्रताप यादव उनके लिए विलेन बन गये।

चुनावी प्रक्रिया के लिए जिन दस्तावेजों की जरूरत होती है रामचंद्र पूर्वे के लिए वे सारे दस्तावेज तैयार कर लिये गये थे लेकिन तेजप्रताप यादव ने दो टूक कह दिया कि अगर पूर्वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करेंगे तो वे अपना उम्मीदवार भी उतारेंगे। तेजप्रताप यादव की जिद के आगे लालू परिवार को फिर झुकना पड़ा और जगदानंद सिंह के हाथों में प्रदेश आरजेडी की कमान चली गयी है। हांलाकि तेजप्रताप यादव की अब भी कितनी चल पाएगी यह कहना बड़ा मुश्किल है क्योंकि जगदानंद सिंह पार्टी के बड़े नेता हैं। लालू परिवार के भरोसेमंद भी हैं लेकिन वे तेजप्रताप यादव की हर बात सुनेंगे उनके रहते तेजप्रताप यादव की खूब चलेगी यह लगता नहीं है।

आपको बता दें कि तेजप्रताप यादव और रामचंद्र पूर्वे के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं और यह खुलकर सामने आता रहा है। तेजप्रताप यादव जब आरजेडी कार्यालय में जनता दरबार लगाया करते थे तो उन्होंने खुलकर यह कह दिया था कि पूर्वे नहीं चाहते कि उनका जनता दरबार लगे। ऐसे कई मौके आए जब तेजप्रताप ने रामचंद्र पूर्वे पर खुलकर हमला किया।

दूसरी तरफ यह जानकारी भी सामने आ रही है कि प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में रहने के बावजूद पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम और आलोक मेहता को पार्टी का यह पद नहीं मिला। दरअसल खबरें आती रही हैं कि आरजेडी के तकरीबन 39 नेता बगावत कर सकते हैं और दूसरी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। लालू परिवार को यह अंदेशा रहा है कि आलोक मेहता और शिवचंद्र राम भी बागी हो सकते हैं और दूसरी पार्टी का दामन थाम सकते हैं इसलिए प्रदेश अध्यक्ष जैसा अहम दायित्व पार्टी ने उन्हें नहीं सौंपा।

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