गुप्तेश्वर पांडेय का है ये अपना स्टाइल, राजनीति करने का आरोप लगाने वाले पढ़ ले खबर और सुन लें VIDEO
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद अपने आलोचकों पर करारा वार किया है। उन्होनें राजनीति करने का आरोप लगाने वाले लोगों को आड़े हाथों लेते हुए बिंदास होकर कह दिया कि मेरे स्टाइल को पॉलिटिक्स का नाम न दो। गुप्तेश्वर पांडेय ने सिटी पोस्ट लाइव से खास बातचीत में दर्जनों उदाहरण देते हुए अपनी बातों को पुष्ट करते हुए कहा है कि आलोचना करने वालों को पहले मेरा काम देखना चाहिए।
गुप्तेश्वर पांडेय आज जब इस्तीफे के बाद पहली बार मीडिय़ा से रुबरु हुए तो उन्होनें ये कहा कि वे पिछले दो महीनों से परेशान हो गये थे उनका जीना मुश्किल हो गया था उनके पास रोज हजारों फोन आते थे जिसमें लोग उनसे इस्तीफे की बात किया करते थे। कई लोग राजनीति करने का आरोप लगाते थे ऐसे लोगों को गुप्तेश्वर पांडेय ने सिटी पोस्ट लाइव के कैमरे से करारा जवाब दिया है। गुप्तेश्वर पांडेय ने अपने आलोचकों को कह दिया मेरा अंदाज ही मेरी सफलता ही कुंजी है।
गुप्तेश्वर पांडेय बताते हैं कि जब मैं चौतीस साल पहले पुलिस सेवा में आया तो मेरी पहली पोस्टिंग तत्कालीन अविभाजित बिहार के चतरा जिले से शुरु हुई थी।उस वक्त की चर्चा करते हुए बताते हैं कि मैनें वहां गरीबी को करीब से देखा। गरीब परिवार से तो मैं भी आया था लेकिन खाने की कभी कमी नहीं हुई लेकिन वहां लोगों को रोटी पर भी आफत थी। वहां सभी लोगों के बीच जाकर बैठता था उनके दु:ख को काफी करीब से देखा लेकिन मेरे पास उनका नैतिक समर्थन करने के सिवा और कोई मदद करने का उपाय नहीं था। उन्होनें कहा कि उस वक्त मुझे कौन सी राजनीति करनी थी। लेकिन लोगों के बीच हमेशा से रहा।
गुप्तेश्वर पांडे ने आगे चर्चा करते हुए कहा कि उसके बाद मेरी पोस्टिंग बेगूसराय में हुई। वहां तो इतिहास ही बन गया। बेगूसराय में जब मेरी पोस्टिंग हुई तो वहां खुलेआम दिनदहाड़े अपराधियों का गैंगवार चलता था, अपराधी कहते थे बुलेट बिछा देंगे। उस दौर में मैनें उस जिले में 800 गावों में जा-जाकर नौजवानों को इकट्ठा किया। लाखों लोगों को खुद से जोड़ा और फिर बेगूसराय में जो कुछ हुआ इतिहास ही बन गया । 40 मुठभेडो़ं में वहां से मैने अपराध का सफाया कर दिया। ये सब लोगों को सहयोग से ही संभव हो सका। गुप्तेश्वर पांडेय कहते हैं कि लोगों को साथ लेकर ही लॉ एंड आर्डर कायम किया। उन्होनें कहा कि मैनें उस वक्त ये सब कुछ किया तो क्या मुझे उस वक्त राजनीति करनी थी क्या ?
वहीं औरंगाबाद के बारे में बताते हुए कहा कि वहां भी उन्होनें जाते ही 54000 लोगों को खुद से जोड़ लिया। गुप्तेश्वर पांडेय आगे बताते हैं कि कहीं भी सांप्रदायिक उन्माद का मामला सामने आता था तो मुझे वहां भेजा जाता था। उन्होनें दर्जनों उदाहरण देते हुए कहा कि चाहे औरंगाबाद हो छपरा,दरंभगा,सुगौली और तुरकौलिया कोई भी जगह हो सभी जगह मैं गया और मुझे अपने अभियान में सफलता भी मिली । वहां शांति कायम करने में मैं सफल भी रहा। उन्होनें कहा कि मैं कोई जादूगर थोड़े ही न हूं जो जादू की छड़ी घुमायी और सबकुछ हो गया। मैनें उन इलाकों में पहले काम किया था लोगों से जो दोस्ताना संबंध कायम किया था वो सब मुझे काम आया। ऐसी किसी भी जगह पर जाने के पहले मैं मोबाइल पर भी वहां सभी समुदाय चाहे वो हिंदु हो या मुस्लिम उनसे बातचीत करता था। उनसे कहता था मैं आ रहा हूं मेरी साख का सवाल है सभी मुझे हाथों-हाथ लेते थे और मैं अपने अभियान में सफल होता था।
गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा है कि मैनें इसी अंदाज में काम किया और यहीं मेरी सफलता का राज भी हैं लोग भले इसे राजनीति का नाम देते रहें। बता दें कि उन्होंने इस्तीफा देने के बाद पहली बार मीडिया से रुबरू होते हुए ये भी कहा कि कुछ लोग सुशांत सिंह राजपूत केस में मेरे द्वारा की गयी कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कह रहे है कि मुझे चुनाव ल़ड़ना था इसलिए मैनें ऐसा किया है वे लोग मेरे काम के स्टाइल से वाकिफ नहीं हैं।उन्होनें कहा कि मैंने झोला और बोरा लेकर बरगद के पेड़ के नीचे पढ़ाई की है। संघर्ष से ही आईपीएस बना। मैं शुरू से ही कम्यूनिटी पुलिसिंग का पक्षधर रहा हूं । आप मेरे पूरे काम को देखेंगे तो समझ जाएंगे कि मैनें हमेशा पुलिस को समाज के साथ-साथ जोड़ कर चलने की कोशिश की है।
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