सिटी पोस्ट लाइव : सूर्यग्रहण 2020 का कुप्रभाव RJD के ऊपर दिखने लगा है. एक तरफ JDU को फायदा मिलता दिख रहा है वहीं RJD को तगड़ा नुकसान होता दिखाई दे रहा है.मंगलवार का दिन तो RJD, तेजस्वी यादव और राबडी देबी के बड़ा ही अमंगल साबित हुआ है. एकसाथ पार्टी के 5 विधान पार्षदों के JDU में चले जाने के बाद अब राबड़ी देवी की नेता की कुर्सी भी ह्तरे में पड़ गई है. बिहार विधान परिषद चुनाव से पहले RJD के पांच एमएलसी ने मंगलवार को JDU का का दामन थाम लिया. इनमें राधा चरण सेठ, संजय प्रसाद, रणविजय सिंह, कमरे आलम और दिलीप राय का नाम शामिल है. राज्य में नौ सीट के लिए छह जुलाई को विधान परिषद के चुनाव होने हैं. इससे पहले राजद में यह टूट तेजस्वी यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
RJD के पांच विधान परिषद के JDU में शामिल होने के बाद अब तीसरा झटका राबड़ी देवी को लगा है. पांच एमएलसी के JDU में शिफ्ट होने के बाद अब राबड़ी देवी की विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष वाली कुर्सी खतरे में पड़ गई है. नियम के मुताबिक सदन में नेता प्रतिपक्ष होने के लिए कुल सीट का 10 फीसदी यान कम से कम 8 सीट होनी चाहिए. लेकिन अब राजद के पास विधान परिषद में 3 सदस्य ही बचे हैं. इस बार अगर विधान परिषद में 3 सदस्य राजद कोटे से आ भी जाते हैं तो आंकड़ा 6 ही पहुंचेगा. कुल मिलाकर अब राबड़ी देवी को सदन में नेता प्रतिपक्ष वाली कुर्सी छोड़ने होगी.
तीसरा बड़ा झटका RJD के बड़े नेता पूर्व सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह ने दिया है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.रघुवंश प्रसाद प्रदेश अध्यक्ष और तेजस्वी यादव दोनों के कार्यशैली से खुश नहीं थे. लगातार सवाल भी उठा रहे थे. लेकिन हरबार लालू यादव उन्हें समझा बुझाकर मन लेते थे.लेकिन इसबार जिस तरह से तेजस्वी यादव ने वगैर उनकी जानकारी के उनके कट्टर विरोधी रमा सिंह को पार्टी में शामिल कराने का फैसला लिया, रघुवंश बाबू का गुस्सा फट पड़ा.उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और कहा कि अस्पताल से निकालने के बाद वो बहुत कुछ बोलनेवाले हैं.
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