अस्पताल में खड़े थे 3 एम्बुलेंस, फिर भी एम्बुलेंस के अभाव में चली गई मासूम की जान
किस कंपनी के पास है एम्बुलेंस का ठेका, JDU सांसद का क्या है उस कंपनी से नाता,लोग पूछ रहे सवाल.
अस्पताल में खड़े थे 3 एम्बुलेंस, फिर भी एम्बुलेंस के अभाव में चली गई मासूम की जान.
सिटी पोस्ट लाइव : “शर्मनाक घटना है और व्यवस्था से ज़्यादा मानसिकता का दोष है.ज़िला अस्पताल में तीन Ambulances थे परंतु देने का ख़याल भी नहीं आया.dm के जांच में 4 नर्सेज़, 2 चिकित्सक तथा हेल्थ मैनेजर दोषी पाये गएँ है. सख़्त कारवाई की जाएगी परंतु हमें सोचना है कि ये कैसी सोच है? कैसा बिहार बना रहें है.” ये ट्विट है बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार का.दरअसल,
शुक्रवार को जहानाबाद के सरकारी अस्पताल में एक गरीब परिवार अपने बीमार तीन साल के बच्चे को लेकर ईलाज के लिए पहुंचा.लॉक डाउन की वजह से बड़ी कठिनाइयों से पैदल गोद में बच्चे को लेकर माँ-बाप अस्पताल पहुंचे.अस्पताल प्रबंधन ने ईलाज करने की वजाय उसे सीरियस बताकर PMCH रेफर कर दिया. लॉक डाउन जहानाबाद से पटना जाने का कोई साधन नहीं था.परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के सामने हाथ पैर जोड़ एम्बुलेंस उपलब्ध कराने की गुहार लगाईं.लेकिन नहीं मिला. बच्चे ने एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण ईलाज के अभाव में जहानाबाद में ही दम तोड़ दिया.फिर भी उसके शव को गावं ले जाने के लिए भी एम्बुलेंस अस्पताल से नहीं मिला.पिता को अपने बेटे की लाश कंधे पर लेकर पैदल ही गावं जाना पड़ा.
इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है.अब जिलाधिकारी अपनी जांच में में अस्पताल के 4 नर्सेज़, 2 चिकित्सकों और हेल्थ मैनेजर को दोषी ठहरा चुके हैं. इसका मतलब साफ़ है कि बच्चा एम्बुलेंस की वजह से नहीं बल्कि ईलाज नहीं करने की वजह से मरा.उस अस्पताल में उसका ईलाज हो सकता था लेकिन ईलाज कर देने से मना कर दिया गया. तभी तो डीएम नर्स और डॉक्टर को दोषी मान रहे हैं. एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराने के लिए नर्स और डॉक्टर को तो दोषी ठराया जा नहीं सकता.
स्वास्थ्य सचिव बता रहे हैं कि अस्पताल में डॉक्टर्स भी थे और एम्बुलेंस की भी कमी नहीं थी. वो मानसिकता पर भी सवाल उठा रहे हैं.उनका कहना है कि सरकार की व्यवस्था तो थी लेकिन उस व्यवस्था के संचालन की जिम्मेवारी जिन लोगों की थी उनकी मानसिकता गरीबों के प्रति ठीक नहीं थी. तो सबसे बड़ा सवाल-एम्बुलेंस का ठेका किस कंपनी ने लिया है.कौन है उसका मालिक.क्या कारवाई उसके खिलाफ की जा रही है.सूत्रों के बिहार में एम्बुलेंस संचालन का जिम्मा Pashupatinath Distributors Pvt. Ltd. कंपनी के पास है.जिस जहानाबाद में एम्बुलेंस न मिलने से बच्चे की मौत हुई है, उसी जहानाबाद से JDU सांसद चंदेश्वर प्रसाद के तीनों बेटे जितेंद्र, विजय और सुनील इस कंपनी के 37% के शेयरहोल्डर्स हैं.
बड़ा बेटा जितेंद्र कुमार इस कंपनी में 2 साल तक डायरेक्टर भी रहा है….मार्च 2017 में वो कंपनी का डायरेक्टर बना और जुलाई में इस कंपनी को पूरे बिहार में एम्बुलेंस संचालन का काम मिल गया.हालांकि अब वह कंपनी से रिजाइन कर चूका है.लेकिन लोग सवाल तो उठा ही रहे हैं कि 28 साल पुरानी कंपनी में चंदेश्वर प्रसाद के बेटे के डायरेक्ट बनने के 3 महीने के बाद ही इतना बड़ा कॉन्ट्रैक्ट कंपनी को कैसे मिल गया?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक डायरेक्टर न होने के बावजूद भी सांसद के बेटे कंपनी की तरफ से राज्य स्वास्थ्य समिति की बैठकों में जाते हैं जबकि आज की तारीख में वो सिर्फ कंपनी में शेयरहोल्डर्स हैं.लोग सवाल उठा रहे हैं कि सांसद पुत्र को इतनी छुट क्यों? क्या कंपनी के बाकी शेयरहोल्डर्स का भी सांसद जी से कोई संबंध है?
सिटी पोस्ट लाइव ये आरोप सांसद और उनके बेटों पर नहीं लगा रहा है और ना ही उनके ऊपर लग रहे आरोपों की सत्यता की पुष्टि करता है.ये सारे सवाल सांसद के क्षेत्र की जनता उठा रही है, जिसका जबाब सांसद और उनके बेटे ही दे पायेगें.सिटी पोस्ट लाइव ने सांसद से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन फोंकिसी और ने उठाया. बताया गया कि सांसद सो रहे हैं.बार बार की कोशिश के वावजूद सांसद का पक्ष हमें नहीं मिल पाया.जब सांसद महोदय की नींद टूटेगी तो जनता के सवालों का जबाब जरुर देगें, और उसे भी सिटी पोस्ट अपने पाठकों तक जरुर पहुंचाएगा.
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