सिटी पोस्ट लाइव : चैत के महीने में नवरात्र और चैती छठ पूजा बड़े धूमधाम के साथ मनाई जाती है. नवरात्र का अनुष्ठान तो ख़ास होता ही है साथ ही छठ लोक आस्था का महापर्व है. नवरात्र के दौरान ही चैती छठ पूजा की शुरुवात हो रही है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार छठ पूजा चैत्र और कार्तिक महीने में मनाया जाता है. महीना चैत्र का चल रहा है तो ऐसे में 25 मार्च से चार दिवसीय छठ पूजा की शुरुआत हो रही है.
25 मार्च को ‘नहाय खाय’ के साथ इस महापर्व की शुरुआत हो जाएगी. वहीं 36 घंटे निर्जला उपवास करते हुए 28 मार्च को सूर्य उपासना का यह पर्व संपन्न हो जाएगा.चैत्र शुक्ल चतुर्थी पर 25 मार्च शनिवार को भरणी नक्षत्र में नहाय-खाय के साथ चैती छठ महापर्व शुरू होगा. उस दिन व्रती गंगा स्नान कर अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चाशनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस महापर्व का संकल्प लेंगे. 26 मार्च रविवार को कृत्तिका नक्षत्र और प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्या काल में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करेंगे.
व्रतियों का 36 घंटे निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. चैत्र महीने में 36 घंटे निर्जला उपवास रहना किसी तपस्या से कम नहीं होता. चैत्र शुक्ल षष्ठी सोमवार को अस्ताचगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. 28 मार्च को सप्तमी तिथि में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सूर्योपासना का यह महापर्व संपन्न हो जाएगा.इस बार चार दिवसीय इस महापर्व छठ पूजा के दौरान भरणी और कृतिका नक्षत्र का संयोग हो रहा है. दोनों नक्षत्र शुभ माने जाते हैं. कृतिका नक्षत्र का नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय से जुड़ा हुआ है और कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं इसलिए इस नक्षत्र में जिन लोगों का जन्म होता है, वे काफी तेजस्वी और तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी माने जाते हैं.
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